अनदेखे धागों से ....यूँ बांध
गया कोई ,
की वो साथ भी नही...और हम
आजाद भी नही....!!!-
उससे मै कितनी मोहब्बत करता हूँ,
ऐ तो मै कभी नही बता सकता हूँ,
बस इतना कहना चाहता हूँ मै,
हँसते हँसते मै कई दफा रोया हूँ।
उसकी खुशी के खातिर मै,
उससे बहुत दूर हो बैठा हूँ।
अब तो मै खुद के पास भी नही रहता हूँ,
वो सलामत रहे बस मै यही दुआ करता हूँ।
मै प्यार तो आज भी उतना ही उससे करता हूँ,
मगर उसे कभी एहसास भी अब नही होने देता हूँ।
तकलीफें देकर मै उसे नही पाना चाहता हूँ,
उसे अब मुश्किलों मे मै नही देख सकता हूँ।
अगर तकलीफो मे वो रहे तो मै खुश नही रहता हूँ,
उसे मुश्किलों मे देख कर मै कभी सो भी नही सकता हूँ।
कितनी मोहब्बत है उससे मै बता नही सकता हूँ,
वो हमेशा खुश रहे इसलिए उससे मै दूर हो बैठा हूँ।
प्यार आजादी चाहता है मै उसे कभी कैद नही कर सकता,
अगर कैद कर लूं मै उसे तो उससे कभी मोहब्बत नही कर सकता।
खुद की नजरों मे मै गिर नही सकता।
उसे मै कभी कैद नही कर सकता।
चाहता हूँ उसे दिल और जान से,
फिर उसकी खुशी के लिए मै उससे दूर क्यों नही सो सकता।
वो खुश रहे यही मै भी चाहता हूँ,
भले हो वो मेरे पास न रहे।
मै मोहब्बत तो बेहिसाब करता हूँ,
मगर मै कितना करता हूँ ऐ बता भी नही सकता हूँ।
उसकी खुशी के लिए मै कुछ भी कर सकता हूँ,
उससे क्या मै तो खुद को खुद से दूर कर सकता हूँ।
प्यार किया है कोई सौदा नहीं,कही पर रहे खुश रहे यही दुआ है रब से।-
आजाद पंछी छूप रहा हैं,भूल रहा हैं वो उड़ना,
मिटा रहा हैं वो अपनी ख्वाहिशों को सहीं करनें अपने हालात को,
खो़ रहा हैं वो मंजिलों को अपनी उलझीं हुई लकीरों में,
वो छोड़ रहा हैं अपने जज्बातों को जीनें अपनीं जिदंगी को...
आजाद पंछी छूप रहा हैं, भूल रहा है वो उड़ना।-
आजाद पंछी नही, हमे तो
तेरे दिल का कैदी बनना है,
रिहाई नही, हमे तो
तेरे अक्स में खुद को समाहित करना है,
उड़ने की ख्वाहिश नही, हमे तो
तेरे संग रहना है,
कोरा नही, अब बस
तेरे रंग में खुद को रंगना है!
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चर्चे बहुत सुने है हमने तुम्हारे
दिल तोड़ने में माहिर जो हो
में भी आजाद पंछी हूँ तेरे
दिल के पिंजरे में फसना नी में-
जबतक हो पाएगा तबतक प्यार करना
कोई भी जबरदस्ती नहीं
क्यूं की लोग तबताक ही साथ रहते है
जबतक उस इंसान से हो पता है
अगर किसी और से प्यार हो
तो, बेहिजक अपनी दिल की बात मुझे जरूर बताना
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गुमसुम सी हो गई है जिंदगी,
आज एक पिंजरे में कैद हो गई है जिंदगी,
आसान नहीं है इस पिंजरे से आजाद होना,
इसमें ही तू एक दिन जान लेके रहेगी ए जिंदगी..😶-
मैं भी एक पंछी, आजाद बनना
चाहती हूँ......!
खुले आसमान मे उड़ाने, तेज भरना
चाहती हूँ......!
दीवारो मे बंधे इस तन को,
रिश्तो मे बंधे इस मन को एक सैर, लम्बी कराना चाहती हूँ.......!
पड़ने वाला हो न हो मैं लिखना, फिर भी
चाहती हूँ.......!
इस मन की अभिलाषा को कोरे पन्ने पर गढ़ना
चाहती हूँ......!-