हसरतों से हिज्र और जहेमत से वस्ल...ईजाब कर
ख्वाबों को जिंदगी से फ़ानी कर दिए
ये दुनिया की रस्में निभाते निभाते
अजाब से भी अब मरासिम हो गए-
जुमलों के बाजार में झूठ की दुकान,
बनी उसकी ग्राहक... हर किसी की जुबान
खाए कसम...रो के हजम,
कहां की मर्यादा जब बने सब रावण...
झूठे भी है अब गीता के सहारे,
फिर ये अंधा कानून भी क्यों सच को पुकारे?
हरिश्चंद्र के मूल पर दुनिया तोलती है सच को,
जब बात आती हैं जीत की तो क्यों मारते हैं अश्वत्थामा को?
यह सच है कि अब सच बोलना मतलब हार,
हो ना यकीन तो खुद आजमा लो ये सच मेरे यार-
कुछ पैसों की आड़ में
अपनों का शिकार कर,रिश्तो में दरार कर
मजहब तरक्की देगा क्या?
कई सांसें थम गई बिना खाए,
हम खड़े खड़े देखते रहे
मजहब दुआ देगा क्या?
वैद कहो या हकीम कहो,
जान बचाए तो खुदा कहो या ईश्वर कहो,
क्या उनसे बदसलूकी करके
मजहब जन्नत देगा क्या?
नफरत की चिंगारी से अमन को भस्म कर,
लाशों की बुनियाद पे
मजहब अमर होगा क्या?-
टूटा तारा देखा मांगा नहीं कुछ, ख्वाहिशें है मुर्दा मेरी
हां सोच मेरी अलग है,लोग हैं खिलाफ
हर कड़वी बातें मैंने neat समझकर जेली
फिर नशे में झूमकर,मैंने आंखों से उतारी
खैर समझदारों की दुनिया ही होती है विरोधाभास की-
लोग भटका के कुर्सी बचाली,
अब एक और बस्ती दंगों के सायें में है
द्वेष का एक समंदर दूर तक फैला हुआ,
और कश्ती कागजी पतवार के सायें में है
इंसानियत के परतों पें मायूसी की धूप छाई,
आदमी गिरती हुई सोच के सायें में है
जख्मी नौजवान बेरोजगारी की जद में है या धर्म की दार पें?,
बेफिक्र हिंदुस्तान अब प्रगति के सायें में है-
खोज है यह वक्त की जो पास में लाया हमको,
पास में लाकर दिल मिला के साथ में लाया हमको।
साथ मिला तो याद बनी,वो कुछ लम्हों की पहचान बनी,
पहचान रिश्तो की नीव बनी,वो जीवन की सौगात बनी।-
हर कोई मनचला बना है अपनी कहानियों में,
क्या सबका जीवन ही बेहाल है?
फिर भी सर चढ बोल रहा गुमान है,
क्या आने वाला कोई भूचाल है?
हर मोड़ पर छाया है द्वेष का परचम,
क्या इंसानियत ही अब बर्बाद है?
हर बीता कल है एक नया आईना,
क्या खुद को बदलना आसान है?-
गिरगिट भी शरमाया तोरी जबान का रंग देखके,
थोड़ी गुफ्तगू तो कर लो अपनी राय बदलने से पहले...
अब खौफ फैलाकर हासिल कर लो अमन कि नई चिंगारी,
देश की बुनियाद का ढांचा बदल के हम बनेंगे हिंदूवादी...
खाकी वर्दी वालों का सच जब सामने आता है,
तब टुकड़े-टुकड़े गैंग रूपी नया ब्रह्मास्त्र लाया जाता है...
हिंदू राष्ट्र के ख्वाब देखो ना है कोई परेशानी,
कुछ वाजिब सवाल पूछने पर क्यों बने हम पाकिस्तानी?
सबका साथ,सबका विकास, सबका विश्वास तो नारा है,
मन में गोडसे से बसाके गांधी नाम का जप तो बस एक सहारा है..-
मंदी पर चुप रहकर,देश आगे बढ़ाना है अब...
शिक्षा को महंगी करके,विश्व गुरु बनना है अब...
भुखमरी में अव्वल बनके, CAB का स्वागत करना है अब...
गांधी की बातें भूलकर,गोडसे को अपनाना है अब..
हिंदू राष्ट्र बनाकर,पाकिस्तान बचाना है अब...-
चार लोग की गिरफ्तारी,
तीन हिंदू एक मुसलमान ,
कुछ नेता अभिनेता बोले आरोपी एक मुसलमान,
वाह रे तेरी राजनीति अब बलात्कार भी बाटा मजहब से-