दावा सबका है लेकिन देखें मुझको पहचाने कौन?
अक्स अधूरा है मेरा इतने सारे आईनों में।
सहराओं में ढूंढ रहा हूं नख़लिस्तान मिले कोई,
कहां मगर जज़्बात की नरमी इन पथरीले सीनों में?
(दिनेश दधीचि)-
25 FEB 2020 AT 13:09
20 MAR 2019 AT 17:44
हम जो कह दें उसे मान जाया करो
आईनों से जुबां मत लड़ाया करो
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16 APR 2020 AT 19:48
आईनों की...
जरूरत...
कहां पड़ गई...
तुम्हें...
मेरी आँखों मे...
क्या साफ नहीं...
दिखता तुम्हें...-
7 APR 2020 AT 20:46
आईनों से...
दोस्ती...
है उनकी...
मैं...
भला झूठ...
कैसे...
कहता...
उनसें...-
17 SEP 2019 AT 10:26
कितने चेहरे कितनी शक्लें फिर भी तन्हाई वही
कौन ले आया मुझे इन आईनों के दरमियाँ-
28 OCT 2018 AT 10:04
भले उसको लगे ये बेवकूफी,
मगर उसकी भी एक दिन हार होगी।
कभी तो आईनों के सामने वो,
मेरे ही इश्क़ की शिकार होगी।-
28 NOV 2023 AT 18:19
जम गई धूल
मुलाकात के आईनों पर
मुझको उसकी
ना उसे मेरी ज़रूरत कोई...-