#ग़ज़ल
#छिन रहीं रोटियाँ गरीबों से ।
छिन रहीं रोटियाँ गरीबों से ।
पर मदद मिल रही फ़रिश्तों से ।
अब डुबाने लगे यहाँ अपने,
कश्तियाँ डर गईं किनारों से ।
फोन का रोग लग गया ऐसा,
मन उचटने लगा किताबों से ।
हार को जीत में बदलते हम,
अपने पक्के किये इरादों से ।
काम ऐसे किए यहाँ तुमने,
अब बचोगे नहीं सवालों से ।
किस क़दर तंग हो रहे हैं सब,
आपके खोखले उसूलों से ।
आसमाँ में उड़ान भरना हो,
ये हुनर सीख लो परिंदों से ।
अवधेश कुमार सक्सेना-04082020
शिवपुरी मध्य प्रदेश
7999841475
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#प्रियामृतवधेश #अवधेश_की_कविता
#झूठी_माया #सुंदर_काया
छुप
पीछे
किसी ओट
चलाके तीर
मार रहे सबको
दिखा के झूठे स्वप्न
लूट लिया अपनों तक को
कुर्सी पाकर कर रहे मौज
समझो तो सब झूठी माया है ।
मिट जानी ये सुंदर काया है ।
मत भूलो जो भी बोला है
माहौल बिगड़ने मत दो
अब ग़लतियाँ मत करो
व्यवस्था सुधारो
अन्यथा हटो
सुनो जरा
सब की
चुप
अवधेश कुमार सक्सेना- 04092020-
2212 2212
#मधुमालती_छंद
है सामने मुश्किल खड़ी ।
चिंता लगी है हर घड़ी ।
तुम धैर्य को धारण करो ।
है आपदा पर मत डरो ।
अवधेश सक्सेना -270720-
#प्रियामृतावधेश
वो
जिसको
समझा था
हरदम अपना
ज़रूरत पर वही
धोखा दे गया मुझे
जब तक था मतलब उसको
हर काम किया उसने मेरा
कोई किसी का नहीं बिना स्वार्थ ।
छोड़ के आशा करना परमार्थ ।
रखो नहीं किसी से अपेक्षा
रहना नहीं कभी आश्रित
खुद करो अपने काम
सम्बन्ध भुलाओ
छोड़ो उनको
झूठे हैं
अपने
जो
इंजी. अवधेश कुमार सक्सेना-09102020
शिवपुरी मध्य प्रदेश-
#मनमोहन_छंद
#जीतेंगे_हम_बड़ा_समर
1
अखबारों में, छपी खबर ।
चर्चा चलती, नगर नगर ।
कोरोना की, चली लहर ।
कैसा बरपा, रहा कहर ।
2
ताला बंदी, है घर घर ।
सब कुछ ही अब, गया ठहर ।
व्यवस्था हुई, है जर-जर ।
यहाँ हवा में, घुला जहर ।
3
पानी अंदर, रहे मगर ।
इसमें जाना, नहीं उतर ।
दुनिया काँपी, है थर थर ।
भीड़ हुई सब, तितर बितर ।
4
बम बम भोले, हे हर हर ।
नाम तुम्हारा, करे निडर ।
हमने है अब, रखा सबर ।
जीतेंगे हम, बड़ा समर ।
अवधेश सक्सेना-21072020-
छप्पय छंद में डॉक्टर की महिमा
1
डॉक्टर की महिमा, तुमको मैं सुनाता हूँ ।
गॉड इन्हें मानते, कारण मैं बताता हूँ ।
अपना शीश इनके, चरणों में झुकाता हूँ ।
इनकी ही बजह से, ख़ुशियाँ मैं मनाता हूँ ।
रोगी की सेवा करें, खुद की परवाह न करें ।
परिवार का त्याग करें, हमारा उपचार करें ।
2
बड़ी कठिन परीक्षा, पास करनी पड़ती है ।
जवानी की प्रेक्षा, किताबों पर रहती है ।
इनकी जिंदगानी, मुश्किल से गुजरती है ।
ताकत आसमानी, इनका भाग्य गढ़ती है ।
रोगी की जांच करते, हँस कर ये बात करते ।
रोग का निदान करते, सही से इलाज़ करते ।
3
होली या दिवाली, छुट्टी नहीं मनाते हैं ।
रात हो या काली, इनको जब बुलाते हैं ।
जल्दी नींद भगा के, जल्दी से ये आते हैं ।
अपने गम भुला के, रोगी को हँसाते हैं ।
बीमारी या दुर्घटना, इनके पास पहुंचना ।
जन्म मरण की घटना, जरूरी इनका रहना ।
4
सफाई कर्मी को, सब जन नमन करते हैं ।
स्वास्थ्य के रक्षक को, हम सब नमन करते हैं ।
डॉक्टर और नर्स को, शत शत नमन करते हैं ।
असली भगवान को, झुक कर नमन करते हैं ।
डॉक्टर्स के सम्मान में, कभी कमी न आएगी ।
इनकी ही प्रशंसा में, दुनिया गाने गाएगी ।
अवधेश-22042020
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कुछ दोहे-
चारण भाटों से सदा, खुश रहते सरकार ।
शोषण दमन दिखे नहीं, बने हैं पत्रकार ।
नेतन की विरुदावली, लिख रहे कलमकार ।
मजदूर यहाँ मर रहे, औरन की जयकार ।
दीन विचारा क्या करे, डरे बेरोजगार ।
कुछ भी कह सकते नहीं, लुप्त हुए अधिकार ।
व्यापारी अब क्या करे, चौपट है व्यापार ।
दुकानें भी बंद हुयीं, रो रहे दुकनदार ।
घर-घर में चर्चा चली, क्या होगा इस बार ।
अब क्या करें क्या न करें, होगा सोच विचार ।
अवधेश-12052020-
जनतन मा परसिद्ध होइ गये,
जे गुण्डा रहैं वे नेता सिद्ध होइ गये।
अनपढ़ सगरियु लायक होइगा,
पढ़े-लिखे सब निषिद्ध होइ गये।
कुरसी केरि हनक मिला जैसे,
कौवौ सब गिद्ध होइ गये।— % &-
दोहा-
पानी सींचे पेड़ को, लकड़ी नहीं डुबाए ।
बच्चों को पाले पिता, विपदा दूर भगाए ।
अवधेश -30052020-