QUOTES ON #अवधेश_की_कविता

#अवधेश_की_कविता quotes

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4 AUG 2020 AT 9:04

#ग़ज़ल
#छिन रहीं रोटियाँ गरीबों से ।

छिन रहीं रोटियाँ गरीबों से ।
पर मदद मिल रही फ़रिश्तों से ।

अब डुबाने लगे यहाँ अपने,
कश्तियाँ डर गईं किनारों से ।

फोन का रोग लग गया ऐसा,
मन उचटने लगा किताबों से ।

हार को जीत में बदलते हम,
अपने पक्के किये इरादों से ।

काम ऐसे किए यहाँ तुमने,
अब बचोगे नहीं सवालों से ।

किस क़दर तंग हो रहे हैं सब,
आपके खोखले उसूलों से ।

आसमाँ में उड़ान भरना हो,
ये हुनर सीख लो परिंदों से ।

अवधेश कुमार सक्सेना-04082020
शिवपुरी मध्य प्रदेश
7999841475



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4 SEP 2020 AT 10:31

#प्रियामृतवधेश #अवधेश_की_कविता
#झूठी_माया #सुंदर_काया

छुप
पीछे
किसी ओट
चलाके तीर
मार रहे सबको
दिखा के झूठे स्वप्न
लूट लिया अपनों तक को
कुर्सी पाकर कर रहे मौज
समझो तो सब झूठी माया है ।
मिट जानी ये सुंदर काया है ।
मत भूलो जो भी बोला है
माहौल बिगड़ने मत दो
अब ग़लतियाँ मत करो
व्यवस्था सुधारो
अन्यथा हटो
सुनो जरा
सब की
चुप

अवधेश कुमार सक्सेना- 04092020

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27 JUL 2020 AT 10:15

2212 2212
#मधुमालती_छंद

है सामने मुश्किल खड़ी ।
चिंता लगी है हर घड़ी ।
तुम धैर्य को धारण करो ।
है आपदा पर मत डरो ।

अवधेश सक्सेना -270720

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9 OCT 2020 AT 17:21

#प्रियामृतावधेश

वो
जिसको
समझा था
हरदम अपना
ज़रूरत पर वही
धोखा दे गया मुझे
जब तक था मतलब उसको
हर काम किया उसने मेरा
कोई किसी का नहीं बिना स्वार्थ ।
छोड़ के आशा करना परमार्थ ।
रखो नहीं किसी से अपेक्षा
रहना नहीं कभी आश्रित
खुद करो अपने काम
सम्बन्ध भुलाओ
छोड़ो उनको
झूठे हैं
अपने
जो

इंजी. अवधेश कुमार सक्सेना-09102020
शिवपुरी मध्य प्रदेश

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21 JUL 2020 AT 10:36

#मनमोहन_छंद
#जीतेंगे_हम_बड़ा_समर
1
अखबारों में, छपी खबर ।
चर्चा चलती, नगर नगर ।
कोरोना की, चली लहर ।
कैसा बरपा, रहा कहर ।
2
ताला बंदी, है घर घर ।
सब कुछ ही अब, गया ठहर ।
व्यवस्था हुई, है जर-जर ।
यहाँ हवा में, घुला जहर ।
3
पानी अंदर, रहे मगर ।
इसमें जाना, नहीं उतर ।
दुनिया काँपी, है थर थर ।
भीड़ हुई सब, तितर बितर ।
4
बम बम भोले, हे हर हर ।
नाम तुम्हारा, करे निडर ।
हमने है अब, रखा सबर ।
जीतेंगे हम, बड़ा समर ।

अवधेश सक्सेना-21072020

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22 APR 2020 AT 10:15

छप्पय छंद में डॉक्टर की महिमा

1
डॉक्टर की महिमा, तुमको मैं सुनाता हूँ ।
गॉड इन्हें मानते, कारण मैं बताता हूँ ।
अपना शीश इनके, चरणों में झुकाता हूँ ।
इनकी ही बजह से, ख़ुशियाँ मैं मनाता हूँ ।
रोगी की सेवा करें, खुद की परवाह न करें ।
परिवार का त्याग करें, हमारा उपचार करें ।
2
बड़ी कठिन परीक्षा, पास करनी पड़ती है ।
जवानी की प्रेक्षा, किताबों पर रहती है ।
इनकी जिंदगानी, मुश्किल से गुजरती है ।
ताकत आसमानी, इनका भाग्य गढ़ती है ।
रोगी की जांच करते, हँस कर ये बात करते ।
रोग का निदान करते, सही से इलाज़ करते ।
3
होली या दिवाली, छुट्टी नहीं मनाते हैं ।
रात हो या काली, इनको जब बुलाते हैं ।
जल्दी नींद भगा के, जल्दी से ये आते हैं ।
अपने गम भुला के, रोगी को हँसाते हैं ।
बीमारी या दुर्घटना, इनके पास पहुंचना ।
जन्म मरण की घटना, जरूरी इनका रहना ।
4
सफाई कर्मी को, सब जन नमन करते हैं ।
स्वास्थ्य के रक्षक को, हम सब नमन करते हैं ।
डॉक्टर और नर्स को, शत शत नमन करते हैं ।
असली भगवान को, झुक कर नमन करते हैं ।
डॉक्टर्स के सम्मान में, कभी कमी न आएगी ।
इनकी ही प्रशंसा में, दुनिया गाने गाएगी ।

अवधेश-22042020




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20 JUL 2020 AT 8:33

#मुक्तक #क़तआ #शायरी

खूबसूरत है बनाती रूह को ये शायरी ।
दूर रहती शायरों से हर हमेशा कायरी ।
हो वतन की बात या फ़िर प्यार वाले गीत हों,
हल लिखे मसले मिलें मेरी पढ़ो तुम डायरी ।

अवधेश सक्सेना-20072020

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12 MAY 2020 AT 18:12

कुछ दोहे-

चारण भाटों से सदा, खुश रहते सरकार ।
शोषण दमन दिखे नहीं, बने हैं पत्रकार ।

नेतन की विरुदावली, लिख रहे कलमकार ।
मजदूर यहाँ मर रहे, औरन की जयकार ।

दीन विचारा क्या करे, डरे बेरोजगार ।
कुछ भी कह सकते नहीं, लुप्त हुए अधिकार ।

व्यापारी अब क्या करे, चौपट है व्यापार ।
दुकानें भी बंद हुयीं, रो रहे दुकनदार ।

घर-घर में चर्चा चली, क्या होगा इस बार ।
अब क्या करें क्या न करें, होगा सोच विचार ।

अवधेश-12052020

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12 JUL 2020 AT 17:21

जनतन मा परसिद्ध होइ गये,
जे गुण्डा रहैं वे नेता सिद्ध होइ गये।
अनपढ़ सगरियु लायक होइगा,
पढ़े-लिखे सब निषिद्ध होइ गये।
कुरसी केरि हनक मिला जैसे,
कौवौ सब गिद्ध होइ गये।— % &

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30 MAY 2020 AT 9:12

दोहा-

पानी सींचे पेड़ को, लकड़ी नहीं डुबाए ।

बच्चों को पाले पिता, विपदा दूर भगाए ।

अवधेश -30052020

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