Archit Pathak   (©️अर्चित पाठक 'हिमांशु')
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13 JUL AT 16:49

- अर्चित पाठक "हिमांशु"

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20 MAY AT 6:05

हां सच है कि बिन तेरे दुनिया खाली लगती है
रात ये पूनम की भी अब हमको काली लगती है
पर सोचो जिसके पास गई हो तुम हंसते हंसते
उसके होंठो पर मेरी ही जूठी प्याली लगती है

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12 MAY AT 8:18

सपनों में बस तेरा ही इक चित्र बनाया करता हूं
अपने जीवन का तुझको मैं इत्र बताया करता हूं
जब लोग जमानें के हैं पूछते रिश्ता तेरा मेरा तो
खोने के डर से तुझको मैं मित्र बताया करता हूं

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9 MAY AT 14:01

अब देखो सब ग़मों की जुदाई हो रही है
इक पड़ोसी के कब्र की खुदाई हो रही है
मजा आ रहा है माहौल ए मंजर देखकर
हर तरफ से बस उनकी **** हो रही है

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11 FEB AT 21:15

Water, water everywhere, but not a drop to drink,
I sail through endless waves, yet my boat dares not blink.
Chasing a mirage of love, where stars in silence sink,
A lone moon hums my fate, carved in shadows of ink.

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30 JAN AT 4:42

तुम्हारे बाप की पसंद का इक लड़का हमारे बीच ये दूरी कर गया
हम फिर ना मिले एक दूजे से पैदा वो ऐसी एक मजबूरी कर गया
हम सजाते रहे सपन तुम्हारी मांग तारों सितारों से भरने की मगर
एक अनजान आया और आकर तुम्हारी खाली मांग सिंदूरी कर गया

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13 JAN AT 20:34

ना मुझको अपने नयनों में भरना कहीं आंसुओं संग मैं बह ना जाऊं

नहीं सहनशील की संज्ञा देना कहीं विरह तुम्हारी मैं सह ना जाऊं

मुझको तो मर जाना है यदि मैं बिछड़ गया तुमसे किसी मोड़ पर प्रियवर

ना स्मृति संबल देना कहीं तुम्हारे बिन इस जीवन में मैं रह ना जाऊं

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27 DEC 2024 AT 21:29

जो तूने दिए मुझे वो आंसू पीना अच्छा लगता है
तूने थे जो घाव दिए अब तक सीना अच्छा लगता है
बिछड़ के तुझसे तो मैं कब का मर जाता अब तक लेकिन
तेरी यादों के संग मुझको बस जीना अच्छा लगता है

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1 DEC 2024 AT 17:06

वहीं जमी वही अम्बर आ रहा है
फिर मेरे रोने का नंबर आ रहा है
जरा सा सब भूलने के करीब था
फिर तेरे बिन दिसंबर आ रहा है

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26 NOV 2024 AT 5:53

"तुम कौन ?" सुना उसका तो डर गए उसकी पूरी बात अभी बाकी है
उसको जाते देख के रोते हो उसकी गैरों से मुलाकात अभी बाकी है
तुम्हारे इश्क की आज पहली शाम क्या हुई और अभी से मर गए तुम
अरे उसके बिना होने वाली भयानक सी स्याह रात अभी बाकी है।

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