QUOTES ON #अभी_कभी_पंक्तिया

#अभी_कभी_पंक्तिया quotes

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27 JUL 2020 AT 16:10

अभिमानी नहीं हूं मैं,,
बस जिसे मेरी परवाह नहीं,,,,
उनकी जरूरत मुझे भी नहीं।।।

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6 JUN 2020 AT 14:26

मिलना तो दूर दीदार को तरसती है दीद
चंद मजबूरियों के हवाले से अब टूटती है प्रीत।।

राह-ए-इश्क़ आसां नहीं समझाया था यारों ने मुझे
मगर समझदारी साथ छोड़ दे तो, कहा चलती है सीख।।

जवाब तुने न दिया और बेजुबान हम हो गये
देख हश्र मेरा खामोशियों की भी निकलती है चीख।।

कसमें वादे और दिल तोड़ना पड़ता है महबूब का
दिल पत्थर हो जमाने में तब जाकर निभती है रीत ।।

हार में खुश रहना सिख लिया हमने उस रोज से
जब तुने बताया था उस बाजार में बिकती है जीत ।।

ये दुनिया हम से शुरू हुई थी अब मैं में जीती है
जो करती है ज्यों करती है उसे ही मानती है ठीक ।।

यार-ए-अभी इंसानियत पे अब सक सा है मुझे
भूखा दुआ दे तब जाके कही मिलती है भीख ।।

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6 JUL 2018 AT 21:56

ज़ंग लगे आइने में
वो छुपाता रहा अपनी
शख्सियत पे लगे दागों
को,
नासमझ झूठी तसल्ली
देता रहा अपनी आँखो
को,
वो टालता रहा चीख पुकार
और आहों को,
करता रहा वो कत्लेआम
अनसुना कर बद्दुआओं को,
रंगता रहा वो लहू से अपने
हाथों को,
ज़ंग लगे आइने में
वो छुपाता रहा अपनी
शख्सियत पे लगे दागों
को।।

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1 FEB 2019 AT 11:07

सुबह का ये मंज़र तो देखो
ओस में नहाया ये समंदर तो देखो।

क्या मज़ा है औरो को रोशन करने में
हो ये जानना गर तो सूरज की तरह जलकर देखो।

हर तकलीफ हर गम भाप हो जायगी
कभी बारिश की तरह बिखर कर तो देखो।

खोकर पाना, पाकर फिर खोना कैसा है
जान जाओगे कभी हवा को बाहों में भरकर तो देखो।

क्यूँ छोटे है दिन और लम्बी है रातें यार-ए-अभी
मालूम हो जायेगा कभी किसी से इश्क़ करके तो देखो।।

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10 JAN 2020 AT 23:28

महफ़िल में उसकी हालत ख़राब है
उसको मेरी मौजूदगी का एहसास है।।

कभी चिलमन तो कभी भीड़ की आड़
शायद घर पे भूल आई अपना नकाब है।।

शायरी किसी गुमनाम के नाम पढ़ रहा हूँ
उसे डर राज खुलने का मेरे लबों पे जो शराब है।।

वो आँखे मिचकर सुन रही है मुझको
बस यकीं हो जाये कि ये तो एक बुरा ख़्वाब है।।

यार-ए-अभी तिलमिला उठी है उसकी सुरत
शिकस्त पे भी जो मेरे चेहरे पर ये रुवाब है।।

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17 JAN 2019 AT 10:49

ख़ुशी होगी तुम्हे,
मुझसे कनी काटकर
दो पल आसमान में
अकेले उड़कर।
ख़ुशी होगी तुम्हे,
ये जानकर के
जब तुम गिरने को होगी
वो खड़ा होगा अपने
बाहों के हार लेकर।
ख़ुशी होगी तुम्हे,
उसकी आँखो में
जीत की चमक देखकर,
उसके लबों से मेरी हार का
चर्चा सुनकर।
पर तुम्हे दुख होगा ये जानकर
के मैं हारा ही नहीं हूँ,
मैं तुम्हे दाव पर लगाया ही नहीं हूँ।
मेरी नज़रे अब भी है आसमान पर।।

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27 MAR 2020 AT 15:13

गली-गली थी धूप पसरी
मुश्किल से एक बाल्कनी के नीचे
थोड़ी सी छाव मिली ।
सूखा कंठ और प्यासी थी निगाहें
सराबोर हो गया मैं, जो एकाएक
उलझी काली घटाएं मुझपर आ बरसी ।
सूरज डूबा दिया उसने एक ही झटके में
अचरज में था के कैसे माने
दिन रात मौसम सब ही बात उसी की
देख बादलों के बीच चांद सा चमकता मुखड़ा उसका
जान-पहचान में लग गई मेरी कनखियां सरसरी।।

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18 APR 2021 AT 23:02

पत्थर दिल पे ऐसे पड़ा है कोई ।
सांस पे पांव रख जैसे खड़ा है कोई ।।

सब को बाहरी रूप अपना दिखाता हूँ ।
आना नहीं भीतर, भीतर गड़ा है कोई ।।

मेरी कब्र से मेरी लाश उठ खड़ी होगी।
गर उनमें अंश वफ़ा का बचा है कोई।।

जां वो किसी और कि हो बैठे है ।
उनके लिए तिल तिल मरा है कोई।।

एक जिस्म दो जान के दावे थे
अपने ही साए से अब डरा है कोई।।

यार-ए-अभी न जज़्बात सम्हलते है न आंसू।
दिल कच्ची माटी का बना घड़ा है कोई ।।

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19 JAN 2021 AT 17:40

सुस्त है कदम, राहें तेज हैं।
हम ही काहिल, बाकी सारे तेज हैं।।

सबको जीतना हैं, कुछ न कुछ।
हरकारा की छोड़ो, दिवाने तेज है।।

ख़याल रूकने का, आने के साथ हवा।
वक़्त की मार के आगे, बेचारे तेज हैं।।

पल पल बढ़े, नमक इश्क़ का।
लहरों से जियादा, किनारे तेज हैं।।

नाज़ुक है हर अदा हर अंदाज उनका।
शायद इसीलिए भी, नजारे तेज हैं।।

देखते देखते तु रक़ीब का हुआ 'अभी'।
हम सोचते थे कि भाग हमारे तेज हैं।।

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20 JUL 2020 AT 0:26

भागते भागते थक गया हूँ, अब रूक जाना चाहिए
तेरे दर-ओ-दीवार को मेरे लिए खुल जाना चाहिए ।।

बह रहा है नीर आंखो से मेरी दरिया के जैसा
संगदिल अब तलक तो तेरे दिल को भर जाना चाहिए।।

संगमरमर पे तराशा गया है प्यार ताज जिसे लोग कहते
इतनी चोटों के बाद मुझे भी अब निखर जाना चाहिए ।।

ये कैसा हठीला ख़्वाब है टूट के भी रड़कता है आंख में
तेरे दिल में उतर कर घाव इसे गहरा कर जाना चाहिए ।।

यार-ए-अभी तु सब कुछ अपना उसके नाम कर चुका है
हकदार अब जो तेरा तय है तो तुझे मर जाना चाहिए ।।

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