हालात कैसे भी हो गुज़र ही जाते है
बस थोड़ा सब्र की बात है जनाब!-
अरसे बाद की मुलाकात के बाद भी ...
दोनों ने ख़ामोशी औढ़ रखी थी ...
सवालों का सैलाब दोनो के दिलों में बह रहा था ...
बाहर पहले कौन निकले सवाल ये दोनों की आंखों में दिख रहा था ...
काफ़ी देर तलक छाई खामोशी के बाद ..
उसने उठकर गले लगा लिया ...
और सवालों का सैलाब आंखों से बह गया ।।
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गुमनाम सी मंजिले हो या जानी पहचानी सी राहें ..
साथ किसी अनजाने का हो या अपनों की बाहें
बस यूं ही ये सफर चलता रहे ,
ढूंढते चलना है बस उजालों को इन राहों पर चाहे ये सूरज ढलता रहें ...
सुननी है हमें बस अपने दिल की धड़कन को
चाहें जमाना कुछ भी कहता रहे...
बस यूं ही ये सफ़र चलता रहे-
अमावस की रात में उजाले का इंतज़ार किए बैठे हैं
एक हम ही तो मूर्ख है शायरा जो तुमसे बात की आस लिए बैठे हैं ..-
सुनो तुमसे कुछ कहना है ....
मुझे करनी है कुछ बातें तुमसे ही तुम्हारी ..
फिर से कुछ खट्टी कुछ मीठी यादें पुरानी
जैसे की पसंद है मुझे यूं रूठना ,
लाल नाक पर रखा वो गुस्सा तुम्हारा ..
ये कहना की मैं इज़हार नहीं करती
और फिर घंटों खुद ही मुझे मनाना..
पसंद है मुझे तुम्हारा मेरे लिए यूं सब से लड़ जाना
हर वक्त मेरे साथ रहना और
मुश्किलों में निस्वार्थ हाथ बढ़ाना...
पसंद मुझे तुम्हारा ये बेबाकपन,
हर छोटी बड़ी बात पर बच्चों सा मुस्कुराना......!!-
मुझे पाता है तुम्हारी फितरत में नहीं धोखा देना मुझे..
पर क्या करूं इस दिल का एतबार किसी पर करता ही नहीं ....
कैसे समझाऊं इसे ...
इसे शक है तुम्हारे दूर जाने का
इस भीड़ में फिर से हाथ छूट जाने का
बस यही खयाल इसको कुछ समझने देता ही नहीं
मेरा दिल अब भी तुम पर एतबार करता नहीं !!!!
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