आहुति बाकी यज्ञ अधूरा,
अपनो के विघ्नों में घेरा,
अंतिम जय का वज्र बनाने,
नव दधि से हड्डिया गलाये,
आओ फिर से दीया जलाये,
आओ फिर से दीया जलाये।।-
21 MAR 2020 AT 9:48
17 AUG 2018 AT 2:20
मृत्यु क्या है? एक माया है,
छू कर चली गई,
जिसे वक़्त भी पकड़ नहीं पाया है !
ज़िन्दगी भी एक छलावा है,
कभी आग से खेलना सिखाया,
कभी अंधकार हो आया है !-