बहुत हुआ अंधेरों में भटकते हुए "माही" चल ज़ुल्मत में वो नूर ढूंढ़ते हैं वो जो कह रही ख्वाइश_ए_हसरत बन गई है तो चल उस ख्वाइश को फिर तावक्वो देते हैं ये क्या देहलीज पर बैठे खोए खोए से उफ्फ जफा चल तेरे हाथों के लकीरों में वो खुशहाल जिंदगी ढूंढ़ते हैं
एक जंगल में एक कबूतर का जोड़ा घौंसला बना के रहा करते थे। वो एक दूसरे से बहुत प्यार करते थे । एक दिन नर कबूतर ने मादा से कहा कहीं तुम मुझे छोड़ के तो नहीं जाओगी ऐसा सुनते ही मादा ने अपने सारे पंख नोच लिए । फिर उसने कहा अब मै तुम्हे छोड़ के कभी नहीं जाऊंगी। फिर कुछ अरसे बाद अचानक बहुत जोरों की आंधी और तूफान आता देख मादा कहती है नर से तुम चले जाओ तूफान से अपनी हिफाजत करो । ये सुन के नर कबूतर चला जाता है। फिर बारिश होती है। बारिश और आंधी के खत्म होते ही नर आता है और देखता है कि वो मर चुकी है । और बगल में लिखा होता है "काश के तुम मुझे छोड़ के नहीं जाते तो मै तूफान से पहले नहीं मरती"।