वो लगती है -भाग-1
जिस्म पर पानी की बूंद भी शराब लगती है
उसके सामने अब हर चीज खराब लगती है
तुम्हे कैसे बताऊं कि कैसी नजर आती है
यू समझ लो कि वो लाजवाव लगती है
मुझसे वो मोहब्बत करती है इतनी सुन लो
मुझे वो मोहब्बत भी बेहिसाब लगती है
सामने होती है तो छूकर देखता हूं उसे
मुझे जीता जागता ख्वाब लगती है
मेरे लिए तो चांदनी सी शीतल है वो
मगर गैरो को वो आफताब लगती है
जिस दिन लाल लव, लाल कपडे हो उसके
सच मे वो उस दिन गुलाब लगती है
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