नाराज़ हैं क्या मुझसे ,
अब मनाने क्यों नहीं आता
शायद कोई मसरूफ़ हैं खुद मे ,
इसलिये नाराजगी जताने नहीं आता,
अब क्या कहुँ उसे जो चाह के भी,
खामोशी का हाल पूछने नहीं आता,
मैं क्या कहुँ वह जज़्बात,
जिसे झुपाने नहीं आता
नाराज़ है क्या मुझसे,
अब मनाने क्यों नहीं आता...........
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