देख उसे यूँ नयनों से , जीवन नव तरूणाई है ।
प्यार के नए सुर सजे , संगीतमय जीवन लायी है ।
पहली नज़रों से जब देखा , बादल घुमड़ अकेला है ।
धरती की पावन प्यासी को , बारिश बनकर खेला है ।
तीर तीर निर्मल तटिनी के , अविरल बहता पानी है
चंदा चकोर की टकटकी , बस यही मेरी कहानी है ।
महक रही थी खूशबू बनकर , चाहत के इस उपवन में
अहिल्या वर मांग रही , जैसे राम के तपवन में ।
रोम रोम शीतल तन्मय, बिंदी विशाल हिमालय है
हाथ मे कंगन ख़नक रहे ,मन पावन देवालय है ।
नयनों में सतरंगी आभा , कोयल उसकी वाणी है ।
सुर को मेरी तान मिले , बस यही मेरी कहानी है ।
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