सब अपने में रमे हुए है,
फुरसत नहीं व्यस्त हैं सब,
हाथ और मन मोबाइल में जमे
हुए है।
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ज़रा जरा सी बात पर मुस्कुराता तो जरा सी चोट पर रो देता है, ये लड़कियों का दिल कम्बख्त बहुत कच्चा होता है।
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कुछ किस्से आज भी
दिलो दिमाग़ में ठहरे हैं,
कुछ सरे आम हैं
तो कुछ राज गहरे हैं।-
पड़ती हूँ तुम्हें ऐसे जैसे शब्दों से भरा खत हो तुम,
तुम्हें देख जो दर्द दवा बने वो राहत हो तुम,
ना तेरे सिवा, ना तेरे बिना कुछ मंजूर मुझे
प्यार के पहले अक्षर से शुरु मेरी आखिरी चाहत हो तुम।-
नासमझी के दौर में कतई वापिस नहीं जाना हैं,
कुछ ख्वाब जो कल तक रूठ थे उनको आज मनाना है,
लोक - लाज, लिहाज, सकोच बहुत इनको पकड़ा मैंने
छोड़ के सारे मतलबी बंधन जो मन का है वो अपनाना है।-
मांगू कुछ भी पर आगें कुआँ
पीछे खाई ना दो,
भूखे भी रह लेंगे भले तिनका
राई ना दो,
हालात मजबूर हैं जिनके जो
कुछ कह नहीं सकते उन्हें
संस्कार की दुहाई ना दो।-
जो हसी खुशी गुजारा था मैंने,
जिसकी समझी ना कीमत कभी
बस अक्कड़पन में उस वक्त को
दुत्कारा था मैंने।-
शाम ढलते ढलते
ढल जाती है उमंग,
ताजगी, बस चाह रहती
केवल सुकून की, और
थकान चलती दिमाग के
संग।
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नौकरी करे जो घर भी संभाले,
आदर सम्मान की वो अधिकारी है,
जिसके रहते घर-घर लगता,वरना
चारदीवारी है।-
सब की फ़िक्र में बढ़-चढ़ कर आगें
पर खुद की खुशी में थोड़ा घटा हुआ है,
भार कंधो पर उसके बहुत आ गया,बस
जिम्मेदारी में वो बटा हुआ है।
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