मेरे कल को मेरी असलियत मत समझना...... आग का गोला हूँ कोई शीतल छाउँ मत समझना... किस्मत की मारी हू मन से हारी मत समझना..... सुबह की पहली किरण हूँ कोई बुझता हुआ चिराग मत समझना....... हर मुश्किल से लड़ जाऊंगी कोई कायर मत समझना...... रिस्तो की खातिर सपनो को कुरबाँ करती हूँ कोई इसे मेरी कमजोरी मत समझना........ दिल की मारी हूँ कोई दिमागी बीमारी मत समझना..... हर परिस्थिती से लड़ जाऊंगी कोई कमजोर मत समझना..... आज की नारी हूँ कोई बेचारी मत समझना....... मेरे कल को मेरी असलियत मत समझना.......
जो दूसरों कि खुशियों के लिए, खुद दर्द सहन करती है, वो एक औरत ही तो होती है। जो अपने परिवार के लिए, सब कुछ छोड़ देती है, वो एक औरत ही तो होती है। जो दूसरों को ज़िन्दगी देकर, खुद पल-पल मरती है, वो एक औरत ही तो होती है।