कै पोता-पोती कै दोयता-दोयती
सगळा चारू मेर बैठ्या करता।।
नानी लै सूत चकरिओ हाथ मायं
रजवाड़ी कहाणियाँ कैया करता।
हाँसी-ठिठोली सूँ भरयोड़ी खाट होन्ति,
नानेरे री भाइड़ा चोखी ही बात होन्ति।।
गरमी री छुटियाँ मायं धोरां घूमता
कीकर खेजड़ी री डाळयाँ लमूटता
लूँ चालती नैना पगथळीयाँ बलता
खैळ-खैळ सूँ हिवड़ा नई भरता।।
बैरो नी चालतो कद गहरी रात होन्ति,
नानेरे री भाइड़ा चोखी ही बात होन्ति।।
लाम्बा कद होया लाम्बी दूरियाँ लेर,
बालपण रा सोवणा सुख होगया ढ़ेर
जीवण री भगदड़ में आगै निकल्या
उमर गै पीसा मायं खेलड़ा बिकग्या
कठै गई कश्ती बा जद बरसात होन्ति,
नानेरे री भाइड़ा चोखी ही बात होन्ति।।-
झीणों झीणों बायरो,
पलकां बैठयों सांवरों।
हाथ नैणां पर सोहवे,
झरोखा आंतो तावड़ो।
भर मायड़ भाई मायरो,
बाईसा नापे अब दायरो।
मिलन बेला सोवणीं पण
बिछड़ण हियो खा रयो।।-
प्रीत री बातां छोड़ साहिबा चलो कोई ओर बात करा..
सगलां मिल "बापू" री वर्षगांठ पर कोई दृढ़ संकल्प धरा..
तन मन सूं अपवित्रता रो मैल काढ़ा, नीड़ स्वच्छ करा..
आपरी भासा ने अपनावां पाश्चात्य सूं थोड़ो परहेज करा..
काला, पीला, धोला, सगलां मिनख एक ही माटी गा हैं..
जात पात छोड़ सब रा धर्म री सिखिया प्रेम सूं पढ़ा..
जो शिक्षा थाने मिली, मने मिली, बिंगो सब में दान करा..
छोटा टाबरिया री अखियां में नवजीवन रा सुपना भरा..
हिंसा सूं नहीं अहिंसा सूं प्रेम रूपी राष्ट्र गो निर्माण होसी..
हर एक मन में प्रेम, लगाव, अपनेपन रो विस्तार करा..
प्रीत री बातां छोड़ साहिबा चलो कोई ओर बात करा..
सगलां मिल "बापू" री वर्षगांठ पर कोई दृढ़ संकल्प धरा..-
थपक-थपक धरती पर पगळ्यां,
धड़क धड़क धड़के सै हिया जी।
बन्नी सज-धज बैठी गौरा बाईसा,
परणीजण आवै ईसर पीया जी।
हरी रे दूब सूँ पाणी वारै ब्याहता,
कुँवारीयाँ प्रीतम उडीकै द्वारे जी।
मांडणा उकेरो गीत गाओ सखी,
आँगणिये गणगौर आई थारे जी।
बीतग्यो रंग फागण चैत पधारयो,
आई चानण तीज ले त्यौहार प्यारो
हाथ जोड़ प्रेम मांगूँ नैणा रा लोभी,
टूठ म्हाने गौरमाता राखु तन मोभी,
ढ़ोलक मंजीरा बाजै राग रे चिरमी,
शिव चालै आगे पारवती लारै जी।
मांडणा उकेरो गीत गाओ सखी।।
आँगणिये गणगौर आई थारे जी।।-
कलियां बैठ्यो मस्तानी भंवरों,
तितळ्यां रा भांत भांत रा रंग।
पीत हुगी धरती सगळी देखो,
हिवड़ै बाजै ढ़ोलक अर चंग।।
बन्नी सजै बन्ना निरख बतलावै
प्रेम हिलोरिया लैव बदलै ढंग।
सरसूं खिल-खिल बिछी आँगन,
बयार चालै लहरावै संग संग।।
नन्ही पलकां सुपणा सजगया,
उजळी होइ दिशावां अंधेर दंग।
नुई नुई चिड़कलियाँ चहकी रे,
मुँडेर गूँजें हिये में उठे उमंग।।
चालौ करौ सुआगत सुगन मना,
ईक दूजे सूं मिळो जी हँस हँस।।
सुरसती पूजो हाथ जोड़ सगळा,
मनभावण आओ सखी वसन्त।।-
भोलेपन का जिस पर
रहता था हरदम पहरा ,,
चाह के भी भूल ना पाते
उसका वो मासूम चेहरा.....-
धीरे रे धीरे चाल सुयलड़ी
मधुर मधुर न बोल कोयलड़ी
परणिज्या जी थे क्यों अजे आया ना
बिन थारे भोर सूरज, चन्दा भाया ना
रोऊँ मैं बिलखुं सावन झरतो निरखूँ
सपणा म्हारी आँख्यां रा अलसाया सा
नीद याद में घोल खोयलड़ी
धीरे रे धीरे चाल सुयलड़ी
मधुर मधुर न बोल कोयलड़ी
पगळ्यां रा घुघरियाँ अब नाही बाजै
कानां झुमका हाथ चुड़लों नाही साजै
के करूँ के न करूँ बतलाओ अब थे
होंठ पड़ग्या सूखा बिंदियाँ नाही सोवै माथै
आँख्यां बिन काजल रोयलड़ी
धीरे रे धीरे चाल सुयलड़ी
मधुर मधुर न बोल कोयलड़ी-
सूरता सूं अठे कुण परखीजै जी,
पीछाण तो 'सीरतां' गी होवे से।।
कोई मरे पाच्छे रोवे मिनखा ने,
कोई जीवतां मिनखा ने रोवे से।।-
कुछ अंतरात्मा से तुम भी
अपने करो आलाप।
कुछ दिल से हम कहें
और पूरी हो वार्तालाप।-