राजस्थानी बाईसा   (©प्रियंका_बाईसा)
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Joined 16 December 2019


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हिवड़े री बातां बताणी है मन्ने,
ई जग हूं ओल्यूं छुपाणी है मन्ने
एक थारी बाट जोऊं बैरी ओ!

कद ताइं केठा?
रीत निभाणी है मन्ने।

रोज़ लिखूं सा मैं एक कहाणी,
थे हो राजा जिम मैं हूं "राणी"
हिरखू ओ जियां हिरखे सै
आस्मां देख हरियाली धाणी
आ खुली आंख्यां री चाह
साच पुगाणी है मन्ने।

कद ताइं केठा?
रीत निभाणी है मन्ने।

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आयो राखड़ी रौ त्योहार

बरसतो सावण संग पुन्या ल्यायो,
भाई बहन रौ प्यारो साख बनायो
बनाई आ सब नाउं प्यारी रीत,
साची घणी जी प्रेम री प्रीत।।

स्वस्तिक मांड सजायो थाल,
आओ राखड़ी रौ त्योहार।।

करमा डोरे मायँ भेजी अरज,
कृष्ण राख लाज निभायो फरज।
राखी करण रौ बंधन ओ न्यारो,
बहना रै कालजै भाई रौ सहारौ

कलाई सुंदर बांध्यो प्यार,
आयो राखड़ी रौ त्योहार।।

-



चालै धीमी–धीमी बयार सा,
आई बिरखा दिनड़ा चार सा।।
ल्याई मीठे गुड़ रा त्योहार सा,
मांड्या झूला कीकर डाल सा।

झूम उठी महलां बैठी नार सा,
करै भांत–भांत रा सिंगार सा।
कान झुमका गल राणीहार सा,
बाजै मृदंग हिवड़ो उडार सा।।

नैणी बस्या सौवणा भरतार सा,
खड़ एकली निरखू जी द्वार सा।
गौरी सृष्टि बनी शिव संसार सा,
कुंवारी किन्या मांगे मोट्यार सा।

मैं डूबी बण राधिका प्रीत मायंं,
कान्हूड़ा थे संग–संग रै डूबो।।
बीत्यो जावै सुनहलो सावणीयो,
ओ बालम म्हारा! अब तो पूगो।।

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रै मेरा हिवड़ा!
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(कविता)

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इति सूनी ना जावन्ति बीती गौर म्हारी
बेरूता ना मुरझावन्ति, फुलां री क्यारी
रात आला जुजला, संग संग न रोवन्ता
बिन बतलाया मोर, मांझल न सोवन्ता
हिवड़े री न उधड़ती रे जिलतां

साजण जी जे थे ना मिलता
साजण जी जे थे ना मिलता।।

भरी रेव भीड़, म्हारे आले दुआले
पण थारे बिना, हिये ने कुण भावे
चालती आ बेरण बयार, पीड़ जगावे
आँख्यां रो काजळ, गाला संग बतलावे
होंठ म्हारा बिन बोल्या, इयाँ न सिलता

साजण जी जे थे ना मिलता
साजण जी जे थे ना मिलता।।

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नैना-नैना पदचाप म्हारा॥
नैनी-नैनी मिठड़ी बातां हौ
बालपण सूं आँगनिये थारै॥
दिण बित्या,बीती रातां हौ

औ री यसौदा! मैं ही राधिका,
अर मैं ही नटखट मदनीयो॥
बाबल थारी अटारियां रौ...
मैं चंदनियौ...

भेद नी राख्यौ बाबा थे कदी
बेटो प्यारो तौ बेटी भी भली॥
सुगंध दैवै जी दौनु ही एकसी
बैटो जै फूल तौ बिटिया कली

सूरज थै मैं चिलकौर जी थारी,
हिवड़ेे मायं रमयौ रमणियों॥
बाबल थारी अटारियां रौ...
मैं चंदनियौ...

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ज्यूँ आभा मायने चंदो चमके
रात अंधेरी टिम टिम पलके..
ज्यूँ संग जग बुझता तारा हो..
एक बार कहो थे म्हारा हौ॥

हाथ कलाई जचे ज्यूँ चुड़लो,
माथे सोवे ज्यूँ बिंदियाँ सा।।
काना न भावे जड़ मोती झुमका
नैनन रीझे जी निंदिया सा।।
न्यू हिवड़ा म्हारा शृंगारा ओ!

एक बार कहो थे म्हारा हौ॥

बाटा जोवन्ती आया रै सावन,
न आया पण पिया-मनभावन॥
टिपगी दिवाली, होली वी बीती,
टप टप आंसू बनड़ी जी रीति॥
आओ तो भावे त्योहार सारा हौ

एक बार कहो थे म्हारा हौ॥

इबके भेजी ईक लिख चिठि,
आसी साजण लै प्रेम री दीठि॥
संध्या रे आंगन सज बैठा दौनु,
करश्या जी बातां घणी मीठी॥
अंधेरे इण जीवण रा उजियारा हौ

एक बार कहो थे म्हारा हौ॥

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भर दौ आख्यां मायने घणा सुपनां जाग रै लांबी नींद,
ग़यौड़ा नी इब लौटगै आवै उडिक रौ बख्त गयो बीत।।

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सुणा कोई बात,
सुणा कोई कहाणी,
एक हो मोटो राजा
अर एक ही राणी
मुखड़े'प ले आ रे
बा हाँसी पुराणी।।
मेंवाँ में तैरती कश्ती,
छत पर पतंग उड़ाणी।
मीठी गोळी मीठो पापड़
दूर खैत-खाला दूर ढाणी

आजा रे बचपन मनड़े घर,
उडीके तन आ उम्र स्याणी।।

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थारी बाईसा रो लिखैड़ो गीत रो पोस्टर हाजर है सा.. घणों प्रेम अर मान देया। उम्मीद राखूं 🍁
releasing on 14 july ❣
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