दाज्यू कदु भल छु यो हमर पहाड़
कबते द्यखड़ लिजी हिटो हो दाज्यू हमर दगाड़
दवाईक काम ले कनु याँक् हरी झाड़
राष्ट्रीय पशु बाघक ले सुणाई द्याल रोजे दहाड़
ठण्ड पाणि, रसिल हाव, य छु हमर पहाड़क शान
छ्योड़ी हुनै या न्यारे, छ्यौड़ानन कूनी या रूपसी बान
मडुवाक रवाट् ,आलू साग और घ्यू छु याक खान-पान
तैके लिजी हुनी पहाड़ी याक पठ्ठ ज्वान।।
हमर संस्कृति बेटि हमर सभ्यता तक, सब छु या हगरे खास,
यौ पहाड़क मौसम आ जा सबन-के रास,
तबे लगभग सौ साल तक जीने या हमर पहाड़क मैस
खुशहाल जीवन जी बेर ,यैं कमा लिने आदिम कदु पैस।।
हमर देवभूमि उत्तराखंड कै म्यर श्रद्धाल प्रणाम🙏
या छिन हमर देवी-देवतानक परम चार धाम
या मैसनक आस्था देखि लिजी, कनी उ हमर छत्र-छाया
मिलल मौका तुमनके दाज्यू, तौ तुम हमर पहाड़ जरूर आया।।-
शब्दों मे बसी खूबसूरती को, पहचाने कौन?
शांत मन मे चल रही उथल- पुथल को, लफ्जों मे लाए कौन?
कलम उठा के पन्नों पर, ख़्वाब बिछाए कौन?
महीनों, सालों से पड़ी किताबों से, धूल हटाए कौन?
पन्ने पलटते ही फटे हाल देखे जिन किताबों के
उस किताबों को पढ़ने खरीदार आए कौन?-
तुम्हें याद होंगे ना वो पल जब हम एक दूसरे का हाथ पकड़ा करते थे.
हाँ काश वो उसी पल उलझ से जाते, हाँ उसी तरह जैसे earplug हमेशा उलझे से मिलते है
हाँ मैं चाहती हूँ कि कभी हाथ छोड़ना भी पड़े तो थोड़ा वक्त लगे,
यूँ उलझे हुए को सुलझाने मे, शायद उसी पल कुछ और पास आए
शायद उसी पल कुछ और बाते हो,
शायद उसी पल हम एक दूसरे से फिर से टकराए,
शायद ये मीलों के फ़ासले कुछ कम से लगे,
शायद इन्हीं सब मे जो सुलझाने मे परेशानी हो तुम्हें वो मुझे समझ आये,
जो बिछड़ने का दर्द हो मुझे वो तुम महसूस कर सको!!-
क्या वक्त निकल के आओगे तुम?
तुम बिन कैसे गुजरता है मेरा वक्त
क्या सुनने आओगे तुम?
ख्वाबों मे तो आते हो हर दम
क्या हक़ीक़त में भी मिलोगे तुम?
बहुत बाते है तुम्हें बताने को
तुम थोड़ा वक्त पर वक्त ले कर आना!
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मैंने उसको, जब-जब देखा
सूरज देखा, सूरज जैसा-
तपता देखा, जलता देखा
साँझ को ढलते देखा
सवेरा सबसे पहले उठते देखा!
मैंने उसको, जब-जब देखा
सूरज देखा, सूरज जैसा-
चमकता देखा,रोशन जग को करता देखा!— % &-
बड़े नादान हो तुम भी, ज़रा समझा करो बाते...
जो तुम्हारी बेफिक्री पर रो देती है , वो बिछड़कर कितना रोयेगी!-
For me,
The presence of someone is feel like a home.
A home where I am freely express myself, where I do whatever I want, where I feel safe with her.
But when they're away from me, I feel homeless.
Then I am goes in my darkest zone. Where my soul is not present, where my mind is silent.
But I realize if someone comes in our life for a reason then he also goes for a reason, which we do not understand at that time but after a time we realized.
Don't pull anybody, you can't hold the people.
What I was looking the home in someone else. Now, I have to find it in myself.-
मैं कैद हूं उन अल्फाज़ो में
जो तुमने मुझसे कभीं कहें थे!
मैं आज़ाद जी रही हूँ उन लम्हों को
जो तुम संग मैंने बिताये थे!
मैं गुम भटक रही हूँ उन गालियों में
जहा कभी तुम्हारा हाथ पकड़ के सफ़र किया था!
यह कैसी आशिकी है....
जिसमे हमे तुम ना होते हुए भी महसूस होते हो!
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दिन है 1april का!
आप सभी को नए वित्तीय वर्ष की शुभकामनाएं!
ये शब्द 'नया' कितनी खुशियां और कितने बदलाव ले के आता है!
जैसे नई जॉब, नया घर, नया पड़ोसी, नई सहेली, नया साल ओर नए लोग.....है ना?
आज कईयों का increment लगेगा, तो कई लोग अपनी पूरी जवानी दे कर जॉब से retirement ले लेंगे!
नहीं पता तुम कहां हो, कैसी परिस्थिति मे हों.
लेकिन अपने आज को ख़ुशी से जीने की सोचो, हर दिन मुस्कराने की सोचो!
फिर चाहें कल कैसी भी परेशानी हो तुम मुस्कुरा कर निकल लो! — % &-
क्या ज़माने लगेंगे?
अगर हम जो थोड़ा दूर हुए,
तो शायद कोई और लुभाने लगेंगे!-