अक्सर लोगो को, हमने उछलते देखा है,
मिल जाए थोड़ी सी कामयाबी, तो रंग बदलते देखा है,
जो कल तक आस-पास रहते थे,
अब उनको ही आसमान में उड़ते देखा है,
ना जाने किस बात का, गुरुर हो जाता है,
क्यों थोड़े पैसे और थोड़े पदवी का, सुरुर हो जाता है,
घमंड में अपने ही अपनो को, दुर करते देखा है,
अक्सर लोगो को, हमने उछलते देखा है,
दिल रोया आज मेरा, जिसको हमने अपना माना था,
मीठा मीठा बोल गया, जो जहर का एक ताना था,
याद नही कुछ ऐसा बोला, यह तो एक बहाना था,
हम जैसे छोटो से, शायद दुर उनको जाना था,
पर हमने भी श्मशान में, अच्छे-अच्छो को मिट्टी में मिलते देखा है,
अक्सर लोगो को, हमने उछलते देखा है।
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