कमज़ोर कड़ी
हम सब की एक कमज़ोर कड़ी है किसी का नरम दिल, किसी का गुस्सा, किसी की यादें, किसी की कल्पनाएँ, किसी की अपेक्षायें, किसी की ज़िद और किसी की बेचैनियाँ। कुछ लोग आपकी इस कमजोर कड़ी के इर्द गिर्द एक सुरक्षा कवच बन जाएँगे और कुछ लोग कमज़ोर कड़ी को ढूँढ कर आपको तोड़ेंगे। और तोड़ने वाले और आप से खेलने वाले ही ज्यादा मिलेंगे, मैं जानता हूँ पहले क़िस्म के लोग मुश्किल से मिलते हैं, लेकिन यक़ीन मानिए मिलते हैं। इसी दुनिया में मिलते हैं। भरी दोपहरी में एकदम से हुई बारिश की तरह । उम्मीद मत छोड़ियेगा, और पहचान जरूर कीजिए गा क्योंकि जो आपकी कवच बनेगा न उसे कही पहचानने में दिकत हो गई तो फिर आप वही अपनी जीवन से हार गए। और ह पुनः यकीन मिलते है।
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