मुना सिंह राजपुत  
1.9k Followers · 1.5k Following

read more
Joined 21 September 2019


read more
Joined 21 September 2019

कमज़ोर कड़ी

हम सब की एक कमज़ोर कड़ी है किसी का नरम दिल, किसी का गुस्सा, किसी की यादें, किसी की कल्पनाएँ, किसी की अपेक्षायें, किसी की ज़िद और किसी की बेचैनियाँ। कुछ लोग आपकी इस कमजोर कड़ी के इर्द गिर्द एक सुरक्षा कवच बन जाएँगे और कुछ लोग कमज़ोर कड़ी को ढूँढ कर आपको तोड़ेंगे। और तोड़ने वाले और आप से खेलने वाले ही ज्यादा मिलेंगे, मैं जानता हूँ पहले क़िस्म के लोग मुश्किल से मिलते हैं, लेकिन यक़ीन मानिए मिलते हैं। इसी दुनिया में मिलते हैं। भरी दोपहरी में एकदम से हुई बारिश की तरह । उम्मीद मत छोड़ियेगा, और पहचान जरूर कीजिए गा क्योंकि जो आपकी कवच बनेगा न उसे कही पहचानने में दिकत हो गई तो फिर आप वही अपनी जीवन से हार गए। और ह पुनः यकीन मिलते है।

-



इंसानी फितरत...👇👇

जरा सा पैर क्या फिसला..इल्जाम उसी चपल पर लगाया सभी ने ..
जो महीनो तपती जमीन और कांटो से बचाया था हमे

-



संसार के मानव-समुदाय में वही व्यक्ति स्थान और सम्मान पा सकता है, वही जीवित कहा जा सकता है जिसके हृदय और मस्तिष्क ने समुचित विकास पाया हो समुचित और जो अपने व्यक्तित्व द्वारा मनुष्य समाज से रागात्मक के अतिरिक्त बौद्धिक संबंध भी स्थापित कर सकने में समर्थ हो।

-



जब मैं बचपन मै मंदाडी देखता था,तो मंदाडी दिखाने वाला खुदा लगता था, और आज जब खुदा की लीला देखता हूं तो खुदा ही मंदाडी लगता है।

-




जो घट प्रेम न संचारे, जो घट जान सामान ।

जैसे खाल लुहार की, सांस लेत बिनु प्राण ॥

-



बातों की मिठास अंदर का भेद नहीं खोलती, मोर को देख के कौन कह सकता हैं कि ये साँप खाता होगा !!

-



!! काल: सत्यं वदति !!

समय आपको सत्य से अवगत करा ही देता हैं।

-



पानी बिना फसल सुख कर तिनका तिनका बनकर गिर जाये!!
फिर होने वाली वर्षा का रह जाता कोई मोल नही!!l

-



अगर आप किसी पत्थर को अपने मन के अनुसार किसी मूर्ति का रुप देते है तो हजारो बार हथौड़ी की दर्द उसे बरदास करना पड़ता और वो इसलिए करता है की जब मैं मंदिर में बैठ जाऊंगा तो,कोई पूजा करे या ना करे वो इंसान आजीवन प्रेम स्नेह और पूजा करेगा पर फिर वो हजारो हथौड़ी की दर्द सहन के बाद जब वो मूर्ति मंदिर में ना बैठ कर मंदिर के बाहर नारियल फोड़ने की जगह पर लग जाता है और फिर नारियल का भी दर्द सहता हैं न तो वो पत्थर बिलकुल मृत समान हो जाता है*

-



अब सौप दिया इस जीवन का सब भार तुम्हारे हाथो में,
है जीत तुम्हारे हाथो में है हार तुम्हारे हाथो में !!

मुझ में तुझ में बस भेद यही है,मै नर हूं तुम हो नारायण,
मै हूं परिवार की हाथो में और परिवार तुम्हारे हाथो में !!

-


Fetching मुना सिंह राजपुत Quotes