मुना सिंह राजपुत  
1.9k Followers · 1.5k Following

read more
Joined 21 September 2019


read more
Joined 21 September 2019

जैसा व्यवहार हम दूसरों से अपने लिए नहीं चाहते वैसा व्यवहार हम दूसरों के साथ तो नहीं करते ?
जैसे उपदेश हम आये दिन दूसरों को करते रहते हैं वैसे आचरण अपने है या नहीं ? ऐसे अपने आप से पूछने और सही उत्तर पाने की चेष्टा की जाय तो, घमंड आपका मुट्ठी में हो जायेगा, आवाज आपकी धीमी हो जायेगी, कर्म में परिवर्तित हो जायेंगें।

-



बैठ कर कभी गंभीरता से विचार कीजिए...
हमेशा खाना खत्म होते और भूख मिटते ही थाली गंदा हो जाता है न । यही हमारी निजी जीवन में भी है।।
पर थाली को धोआ कर उसी बर्तन में रह जता है, और इंसान एक एक दिन कर के मौत के करीब मौत से पहले पहुंच जाता है।

-



जिनके अन्दर हम होता है उनका सबसे पहला चीझ जो खराब होता है वो होता है जुबान, वो व्यक्ति ना खुद और नाही सामने वाली की अतीत देखता नहीं भविष्य देखता बस वर्तमान की स्थिति देख कर अपने जुबान से ना जाने कितने रिश्ते के बीच दरार कर देता है, उसके अन्दर का हम उस व्यक्ति के साथ साथ एक पूरा परिवार को बर्बाद कर रहा होता है पर समझ थोड़ा भी नहीं आता। ये बाते मेरे व्यक्तिगत अनुभव है कि कभी बैठ ईश्वर के सामने खुद को झांकिए , खुद से पूछिए, सोचिए बिचारिए और ऐसे आपके अंदर हम है तो सभी वर्ग के लोगों से अपील करूंगा बस थोड़ी स्थिति में किसी को गाली, अभद्र ना बोले अतीत, वर्तमान,और भविष्य देखते हुए कुछ ऐसे रिश्तों को जरूर बचाए जो आपके उस समय काम आवे जिस समय पूरी दुनिया मुंह मोड़ लेती है।

-



जवाब छोड़े हैं समय के हवाले
मैं तो मौन हूँ,
आदेश मिलने दो युद्ध का संसार स्मरण रखेगा
मैं कौन हूँ !!

-



लाख मतभेद के बाद भी अपने घर के शेर को ना मारो, नही तो बाहर के गीदड़ तुम्हें खा जायेंगें।

-





यदा पुरुषः अतिशयेन जानाति तदा सः एकाकी भवति !!

-



परिवर्तन भय‌ङ्करं, परन्तु परिवर्तन वृद्धिः एव।

-



मौन समर्पण का अपना एक अलग आनंद है....
नींव के पत्थर दिखा नहीं करते,बाकी पुरा घर उसी पर टिका होता है!!

-



पत्थर देवता था वो कभी भी फल नहीं देता,
मेरी मुश्किल समस्या का कभी वो हल नहीं देता!
नहीं थे राम सीता जो परीक्षा जल के हल कर लें, मैं जब मरता तो मुझको ही वो गंगाजल नहीं देता!!

-



मैं ठीक करते-करते भी सब बिगाड़ रहा हूँ, मै खुद अपने-आप की मुश्किल हो गया हूँ.. आज संभालता हूँ खुद को और फिर दूसरे दिन में और टूट जाता हूँ। न जाने मेरे साथ क्या हो रहा है, समझ नहीं आता दिन खराब हैं या जिंदगी।
हे इश्वर ऐसी जिंदगी मेरे दुश्मन को भी ना देना।

-


Fetching मुना सिंह राजपुत Quotes