_____ संकट के समय नागरिक कर्तव्य____
इस तरह से संवरना है तुम्हें साथियों,चोट लगाती रहे तुम गुनगुनाते रहो,
वक्त के साज़ को आज छेड़ो तुम्हीं, जागरण हेतु नये गीत गाते रहो ;
सुरज के पहले किरण की तरह,ज्योति शिक्षा की तुम ही ये जलाते रहो,
गिरे हो फिर से संभलना तुम्हे ही है साथियों, लक्ष्य को अपने चित मे बसाते रहो;
अपने बुद्धि-बल पर बनो बाकें तुम,कोई सोने ना पाये जगाते रहो,
मिल के साथ चलना तुम्हे साथियों, अपने राष्ट्र की ताकत बढ़ाते रहो;
देश की शाख पर जो कहीं खिले गुल ना हों,उन्हीं शाखों पे गुल खिलाते रहो,
साथ माताएं,बहनें भी उन्नत करें, बैर दिल में जो पनपे उसे तुम मिटाते रहो;
हमसब की सेवा करने को जो हैं रक्षक बनें,
उनके सम्मान में शीश झुकाते रहो,
जो राष्ट्र सेवा मे हैं खुद की आहुति दिये,उनकी यादों के दिपक जलाते रहो;
राष्ट्र के हर समस्या को सुलझाओ तुम,विश्व में अपने सद्भाव की गाथा सुनाते रहो।।।
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