🍁हृदय धुन, सहस्र धारा🍁
मम हृदय रुचि संदर्भ और प्रसंग ये उद्देश्यिका,
संजय हृदय आनंद आलय में है स्वागत आपका।
सौहार्द्र बांधव बंधुता सर्वेषु हित की कल्पना,
निज देश हित कर्तव्य कृत बसती है मन में अल्पना।
संगीत साधन बांसुरी धुन हृदय मम अकुलित करे,
किलकत अबोध पखेरु कलरव मधुर स्वर हर्षित करे।
काव्यादि सृजन पहेलिका इस लेखनी को चित लगे,
माँ शारदे की वरद ने निज तूलिका में रंग भरे।
बजरंग गुण अनुसरण संग शिव साधना यह नित करे,
निज कंठ विष धर विश्वहित ना तनिक भी विचलित हुये।
प्रिय प्रकृतिप्रेम सनेह खगपशु, जतन हित यह नित करे,
चहुँ ओर बिखरें पुष्प हँसि खुशि लता उपवन इक बने।
इति अद्य पूर्ण सहस्त्र लेख प्रशस्ति बन्धु हित लिखें,
सह मित्र शुभचिंतक सहोदर लाभ सुख वर्धन करें ।
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