2122 1122 1122 22
शाद होने के मेरा दिल ये बहाने माँगे,
यार बचपन के वही सब ये पुराने माँगे।
दूर वो भी नहीं हैं खुश मुझे सब है मालूम,
उनकी चुप्पी वही दिन फ़िर से सुहाने माँगे।
दिल की महफ़िल बड़ी वीरान सनम लगती है,
मौसम ए इश्क़ में तर दिल ये फ़साने माँगे।
आपने सीने से जो मुझको लगाया था कभी ,
आँखें मंज़र वही दिन रात सुहाने माँगे।
याद फ़ुर्सत का हमें वक़्त बहुत आता है,
रोज़ "मीना" मेरा दिल गुज़रे ज़माने माँगे।
मेरी ग़ज़लों पे कभी दाद मिली थी जिनकी,
शेर सारे मेरे "मीना" वो दिवाने माँगे।
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