How Archi and Squirrel became friends..
ARCHI: Hello squirrel, Will you be my friend? (Cont. in caption)-
✍️"बादाम के पेड़ों पर बसने वाली नन्ही गिलहरियों की कहानी।"✍️
(The Story Of Little Squirrels Living On The Almond Trees.)
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आज भी जब मैं ऊपर छत में जाता हूँ; लगता यही है घन्टों बिताता हूँ।
देखता हूँ नज़र गड़ाए, आँखों से ओझल होते ही नीचे वापस आता हूँ।
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घरों की छत पे फुदकते नन्हे गिलहरियों का जमावड़ा देखते बनता है।
खासा बेहतरीन ईश्वर प्रदत्त स्फूर्ति व खूबसूरती; बड़ा देखते बनता है।
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सुबह सुबह जल्द जागकर दैनिक क्रियाओं से मानो ये निवृत्त होती हैं।
हम इन्सानों की तरह ही तभी तो चहलकदमी करती ये प्रवृत्त होती हैं।
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इन्हें भी शिशुओं का ख्याल जो रहता है, अकेली ही छत पर आती हैं।
मालूम जो है मासूम हैं वो तो जानबूझकर ये, कभी संग में न लाती हैं।
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बेहतरीन तरीके से परवरिश करके ये बच्चों को अपनी तरह बनाती हैं।
उछलने कूदने लगते हैं अपनी ऊँचाई से दस गुना,ऐसे नाम गिनाती हैं।-
To the little squirreling,
I got to see you on this rainy day again. And I am sorry, I don't come out most often. I have a doubt. How do you animals know the exact time to visit without a watch? But I assure you, that I will be on a rainy day to watch you wandering to and fro.
Yours loving friend.🦋-
गिलहरी
वह छोटा सा जीव,
सीधा साधा-सा सजीव ।
नैन है इसके बिल्कुल काले,
चाल है इसके मतवाले।
कुतर- कुतर को जब वह खाती ,
सबका मन मोह ले जाती ।
डाल -डाल पर, फुदक -फुदक कर ,
दिन भर अपनी फुर्ती दिखलाती।
दया, प्रेम , सहयोगी का संदेश दिलाती,
अंजाने में कई पौधे को अंकुरित कर जाती।
बसंत ऋतु की शोभा बढ़ा कर,
सभी का मन लुभा कर,
अपनापन चारों ओर फैलाकर,
अल्पायु में सब कुछ छोड़ चली जाती।
_ सरिता ❤️
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एक गिलहरी आँगन में
मेरे रोज आया करती है
अपने साथियों के साथ
वो खूब खिल खिलाया करती है
अपना स्वर्ग वो खुद
बनाया करती है
अपनी चंचलता से
वो सबको हंसाया करती है
फुदक-फुदक कर आना
हर छोटी सी आवाज़ से डर जाना
कभी पेड़ो की डालियों में छुप जाना
यह सबकी नानी है
हम सब को
जीवन जीने का रहस्य बताती है
हर पल खुश रहने का पाठ पढाती है
मेरे आँगन की शोभा बढाया करती है
एक गिलहरी आँगन में
मेरे रोज आया करती है-