ना रहे अब वो 'चिट्ठियां' लिखने वाले,
ना रहे आज 'चिट्ठी आई है' गाने वाले,
'चांदी जैसा रंग है तेरा' गानों से वो समां महकता,
'ना कजरे की धार' से वो हर जवां दिल धड़कता,
'छुपाना भी नहीं आता' गाकर वो दर्द भी छलकता,
'थोड़ी थोड़ी पिया करो' के बहाने जाम छलकता,
'रिश्ता तेरा मेरा' से मां और बेटे का प्रेम पनपता,
'मुझको देखा पनघट पे तो पानी भरना' उसका भूल जाना,
'जियें तो जियें कैसे बिन आपके' सुनकर बस रो जाना,
'और आहिस्ता कीजिए बातें' सुनाकर यूं आपका चले जाना,
आपके ये गाने सुनने वाले हो गए आज उदास,
श्रृद्धांजलि सुमन आपको पद्मश्री पंकज उधास !
- अनुराग 'एजी' - 🕉️🌹🪔✍️❤️🇺🇸🇮🇳
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