Sakshi Swapnil   (Sakshi swapnil)
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Here, feelings rhyme ✍️✨
Joined 21 March 2025


Here, feelings rhyme ✍️✨
Joined 21 March 2025
30 JUN AT 9:41

कभी पिता की इज़्ज़त का बोझ,
कभी भाइयों की निगाहों का पहरा,
हर क़दम पर टोका जाता है
जैसे कई सवालों से भरा हर सवेरा।

लेकिन सुन लो - ये हक़ मेरा सम्मान है,
कोई दान, कोई रहम नहीं - ये मेरा अधिकार है।
मैं पूछकर नहीं, हक़ से जीती हूँ,
डर से नहीं, मैं हिम्मत से जीती हूँ।

मुझे इजाज़त नहीं, मेरा हक़ चाहिए,
हर सवाल का अब साफ़ शक्ल चाहिए।
आज़ादी, सम्मान - ना कोई दया ना ही उपहार,
अपनी राह चुनना है - यही मेरा अधिकार।

मैं चुप रहने के लिए नहीं बनी हूँ यहाँ,
मैं तो आई हूँ तूफ़ानों में भी बनकर नई दिशा।
दुनिया को बदलना है - यही मेरी ज़िद है,
मैं औरत हूँ, मेरी उड़ान ही मेरी हद है।

मैं झुकूँगी नहीं, अब सर उठाकर जीना है,
छाँव की मोहताज नहीं, खुद ही सूरज बनना है।
मैं वो बनूँगी जो खुद की राह बनाए,
और चलते-चलते दूसरों को भी चलना सिखाए।

मैं औरत हूँ, पर कमजोर नहीं,
तेरे बनाए दायरे अब मंज़ूर नहीं।
मैं तूफ़ान भी हूँ और चिराग़ भी साथ,
जिसे रोका गया, वही लिखेगी नई बात।

मैं बनूँगी अपनी पहचान की मिसाल,
ना थमेंगे क़दम, ना होगा मलाल।
आज़ादी मेरी अब मुझसे जुड़ी है,
क्योंकि उड़ान मेरी - मेरी ही ज़िम्मेदारी है।

-


30 JUN AT 9:34

मैं उड़ना चाहती हूँ, परों से नहीं, इरादों से,
ना किसी आसमां की मोहताज हूँ, ना बादलों के वादों से।
अब खुद की परछाईं से रौशनी चमकानी है,
हर बंदिश को अपनी उड़ान से ठुकरानी है।

मगर ये समाज के लोग -
कभी कहते “लड़की हो, सलीका सीखो,”
कभी कहते “हद में रहो, ना बहको।”
हर ख्वाब पर लगती है परंपरा की नज़र,
जैसे अरमान हों गुनाह किसी बेहिसाब दस्तूर के भीतर।

जब कहती - “कमाना चाहती हूँ,”
तो कहते - “घर संभालो, बाहर की दुनिया लड़कों की है।”
जब कहती - “कुछ बड़ा करना चाहती हूँ,”
तो कहते - “इतना भी क्या करना है, शादी ही तो करनी है।”

क्यों एक लड़की अपने फैसले खुद नहीं ले पाती?
क्यों उसकी उड़ान पे दुनिया की मुहर लग जाती?
हर बार क्यों ये सुनना पड़ता है उसे मजबूरी से -
"हमने इजाज़त दी थी", बड़ी मेहरबानी से?

जैसे आज़ादी कोई तोहफ़ा नहीं, बस एक उधारी हो,
जैसे हर मुस्कान भी किसी की मंज़ूरी पर जारी हो।
जैसे पैदा होते ही ये फरमान मिला,
"तू लड़की है, हर कदम की इजाज़त लेना तेरा काम हुआ।"

कहते हैं -
"हमने तुम्हें बाहर जाने दिया",
"हमने पढ़ाई की छूट दी",
"हमने तुम्हें बोलने दिया" -
जैसे सांस लेना भी कोई इनाम हुआ।

-


24 JUN AT 12:36

Then fate, one day, with a clever hand,
Sent her back as it was all planned.
Through social threads, their worlds aligned,
And the boy, now a man, began to rewind.

That love, like his, doesn’t simply die,
It rests in shadows but never runs dry.
They spoke for months, hearts reigniting,
Old dreams returning, warmly inviting.

And then one day, with a surprise but without a sign,
He travelled to meet her – no clue, and no line.
He stood before her, eyes so wide,
While she screamed in shock, her excitement she couldn’t hide.

He stepped back, hesitant, with a storm in his heart,
But she pulled him close, tearing fears apart.
He gave her flowers and kissed her forehead,
Like he was living the words he never said.

She held him tight and fell asleep,
In arms where memories love to keep.
When she awoke, his hand on her cheek,
A look that words could never speak.

Like finding treasure long thought gone,
A wait of years, but love held on.
They laughed, they cried, and shared quiet dreams,
To keep each other through life's streams.

And though they walked two roads again,
They carried hearts that knew no end.
For real love isn’t just staying near,
It’s holding someone through every year.

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22 JUN AT 19:17

Once in a school, not too far away,
A boy saw a girl, and time lost its way.
Not from sorrow, but from awe so true,
For in her smile, the stars gently grew.

She sang in class with a voice so sweet,
And his shy little heart would skip a beat.
He'd sit in silence, not saying a word,
But every note of hers, he quietly heard.

She knew his eyes, serene like a breeze,
But he stayed quiet, lost in unease.
He never confessed, though love had bloomed,
And suddenly one day, she left… And silence loomed.

She vanished mid-year, without goodbye,
He searched; he waited, with tear-filled eyes.
He roamed through time, through hope, through pain,
But never found her face again.

Years rolled by – thirteen long and wide,
Yet her memory never left his side.
She lived in songs, in dreams, in air,
In corners of moments, she was always there.

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15 JUN AT 15:31

पिता वो साया हैं जो धूप में भी ठंडी छांव दे,
जो खुद तो जल जाए, पर हमें हर जख्म से बचाव दे।
कंधों पे बिठाकर दुनिया दिखा दी,
मुट्ठी में जैसे सारी राहें थमा दी।

हर दर्द को हँस कर सहा उन्होंने,
हम न रोएं - बस यही दुआ की उन्होंने।
ना माँगा कभी कुछ अपने लिए,
हर साँस बस जिया हमारे लिए।

चुप रहते थे, मगर समझा देते थे,
हर हार में भी हौसला भर देते थे।
मेरे हर गिरने पर दी ताक़त की उड़ान,
पिता हैं वो, जिनसे सीखा सम्मान।

पापा, तुझसे ही ये हौसला है पाया,
तेरे जैसा ना कोई, तू ही तो मेरा साया।
तेरे नाम से चलती है मेरी रगों की रवानी,
तू सिर्फ़ बाप नहीं - मेरी ज़िंदगी की कहानी।

आज जो हूँ, तेरे उसूलों की देन है,
तेरे बिना ये सफ़र अधूरा सा एक रैन है।

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13 JUN AT 11:30

तुम सोचते हो कि थोड़ी राहत की छुट्टी लूँ,
पर वहीं गोलियों की बारिश हो जाती है।
कभी ख़ुशी से जश्न मनाने निकलते हो,
तो भीड़ में ही साँसें घुट जाती है।

कभी ऑफिस के लिए उड़ान भरते हो,
तो ज़मीन पर आने का वक़्त ही नहीं मिलता।
तो कहीं कोई पढ़ाई कर रहा होता है,
और आसमान से आई मौत उसे छू जाती है।

जिंदगी…
कभी इक पल में हँसा देती है,
तो अगले ही पल रुला देती है।
ना कोई वक़्त तय है,
ना कोई जगह महफ़ूज़।

इसलिए,
मिलो तो दिल से मिलो,
रुको तो शुक्र मनाओ।
जो भी पास है
उसे थाम लो, निभा लो, जी लो।

क्योंकि इस दुनिया में बस एक ही बात तय है
कि कुछ भी तय नहीं है।

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12 JUN AT 19:53

एक जहाज़ था — कुछ सपनों से भरा,
कुछ लौटते वादों से, कुछ नए सफ़र का नशा।
किसी ने पहली बार उड़ान ली थी,
किसी ने घर लौटने की दुआ की थी। 

लेकिन वक़्त ने रास्ता मोड़ दिया,
और ज़िंदगियाँ एक पल में सन्नाटा हो गईं। 
मंज़िल से पहले ही कहानी थम गई,
एक चीख भी ना आई, और ज़िंदगी कम हो गई।

ना अलविदा, ना कोई संकेत,
बस एक आग थी और बिखरी हुई रौशनी की रेत।
किसी माँ ने रोटी बनाई होगी उसी वक़्त,
किसी बच्चे ने शायद पापा को चिट्ठी लिखी थी सपने में।
और किसी दोस्त ने कहा होगा -
"फिर मिलते हैं, बात करेंगे अच्छे से।" 

वो मिलना अब अधूरा रह गया,
सवालों की भीड़ में सब कुछ कहीं खो गया।
कैसे समझाएँ टूटे बिखरे परिवार को कि ऐसा क्यों हुआ?
कि जो ज़िंदा थे, एक पल में यादें बन गए सदा। 

उन सबके लिए जो इस हादसे में चले गए -
हम दुआ करेंगे,
उनकी रूहें सुकून पाएँ,
और उनके अपनों को हिम्मत मिले।

कुछ उड़ानें अधूरी रह जाती हैं,
लेकिन उन पर प्यार कभी कम नहीं होता। 

भावपूर्ण श्रद्धांजलि  🙏🕊️💔

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10 JUN AT 11:04

दूसरी बारिश की बात मत कर,
पहली में जो भीगा था दिल, वो फिर कहाँ असर?
जो कहते हैं 'बेहतर मिल जाएगा',
उन्हें क्या ख़बर, पहली मोहब्बत का क्या हुनर? 

हर कोई मिट्टी की खुशबू को नहीं समझता,
कभी जो रूह में बसा हो, वो कहीं और नहीं बसता।
वो पहली बार जो दिल भीगा था किसी के नाम से,
अब हर बारिश बसगी, पर वो बात हुई नहीं फिर किसी शाम से। 

मोहब्बत कोई बाज़ार नहीं जो रोज़ सजे,
जो दिल बस जाए, वो हर बार नहीं लगे। 

वो कहते हैं कोई और बेहतर मिल जाएगा,
उन्हें समझा दो, दिल यूँ हर बार बहलाया नहीं जाता।
दूसरी बरसात में वो सोंधी ख़ुशबू नहीं होती,
और पहली बारिश का एहसास हर बार दोहराया नहीं जाता। 


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7 JUN AT 11:43

One quiet day, the skies were grey,
You came, then slowly slipped away.
The last we met, the last we smiled,
Unaware it was our final mile.

Your eyes met mine, a silent gaze,
No need for words in that soft haze.
I didn’t know, not then, not quite,
That you'd vanish softly out of sight.

Your voice, once near, now lost in air,
Your presence was felt, but you are no longer there.
So close we stood, yet far you flew,
A touch away but never true.

If I had known, I’d never let go,
Held on through the wind, come sun or snow.
Memorised your laugh’s sweet tone,
Spoken truths I left unknown.

But life, it closes doors so sly,
With no farewell, no clear goodbye.
The kind that leaves a hollow ache,
A silent storm, a heart that breaks.

Now all I hold is just that day,
Etched in my soul, too deep to say.
The last we met - so unaware,
That love was leaving... right then and there.

-


6 JUN AT 11:46

Will you wait here for a moment ?

Do you want to wait here for a moment ?

There is a huge difference between both of the sentences. One could be compulsion and the other is satisfaction, right?

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