मुकम्मल गर हासिल हो तो रूठ कर जाऊंगा कहा ?
पल भर को रूठा भी तो, उम्र भर रह पाऊंगा क्या ?-
तुझसे बिछड़ कर मैं खुद को बर्बाद करता रहा..!!
ना सोचा अपने बारे बस तुझे याद करता रहा..!!
तेरी जुदाई कतरा-कतरा मार रहीं थी मुझे..!!
मैं रोज खुदा से मौत की फ़रियाद करता रहा.!!-
तुझसे बिछड़ के तेरे ख़्यालों से दिल आबाद किया
ख़ुद को भी भूल गई मैं इस कदर तुझे याद किया-
यूं ही बातों बातों में दिल निसार नहीं करती
इश्क मोहब्बत मैं ये प्यार-वार नहीं करती
वाकिफ़ हूँ इंतजार की हद क्या होती है
पल दो पल से ज़्यादा इंतज़ार नहीं करती
नींदे उड़ाऊँ किसी के ख़्यालों में खो जाऊँ
ऊफ तौबा-तौबा यूँ जीना दुश्वार नहीं करती
दिल टूटे तो दिल को समझाना मुश्किल है
यही वजह है किसी का ऐतबार नहीं करती
तेरी मोहब्बत ने की मेरे जज़्बात में तबदीली
बेक़रार है दिल मगर मैं इकरार नहीं करती
नजरें करती हैं मेरा हाल-ए-दिल बयां जानाँ
आँखें पढ़ लो तो ठीक मैं इज़हार नहीं करती-
पहली नजर में जिसको हमसे उल्फ़त हो गई
अब ये आलम है हमसे उसको नफ़रत हो गई
जिसको अच्छी लगती थी मेरी शरारती अदाएँ
मेरी हर आदत से अब उसको शिकायत हो गई
कौन कहता है इश्क़ में सब कुछ लूट जाता है
दर्दे दिल तन्हाईयां मेरी दौलत-शोहरत हो गई
किस्मत ही है कोई करके मोहब्बत फना हुआ
मोहब्बत से ही किसी की जिंदगी जन्नत हो गई
एक लफ़्ज लिखा तन्हाई में थोड़ा करार आया
अब तो लिखना जैसे दिल की जरूरत हो गई
नफरत की आग जो तुमने लगाई मोहब्बत में
तुमसे ही नहीं मोहब्बत से भी हिक़ारत हो गई-
दर्द भरी जिंदगी रात उनकी कहर होती है
आंखों में अश़्कों की जिनके लहर होती है
किसी को सता कर जो खुशी हासिल हो
वही खुशी फिर एक दिन जहर होती है
किसी शब कोई मौत के आगोश में सोया
"शुक्र-ए-ख़ुदा" करो तुम्हारी सहर होती है
लम्हे उदास होते हैं किसीे के बिछड़ जाने से
ना वक़्त ठहरे ना जिंदगी की ठहर होती है
ख़्यालों को लफ़्जों की कब़ा देना ग़ज़ल नहीं
ग़ज़ल में काफिया रदीफ़ वज्न बहर होती है
ख़ुदा जाने किसके ख़्याल में 'शायरा ' गुम है
चारदीवारी में ही उसकी आठों पहर होती है-
इंसान को गर किसी की ज़रूरत न होती
तो दुनिया में पत्थर की भी मूरत न होती
मज़हब की नज़र ने तो बांट दिया इंसान को
इंसान साथ ना होते गर इंसानियत न होती
दिल फ़क़त धड़कता कोई मस 'अला ही नहीं
दिल-दिल न होता जो दिल में उल्फ़त न होती
न आता तड़प इंतज़ार-ओ-तलब का मज़ा
किसी को पाने की गर दिल में हसरत न होती
ना होता कोई बेवफ़ा ना बेवफ़ाई के किस्से
गर चाहत वफ़ा-ओ-सच्ची मोहब्बत न होती
क्या अच्छा है क्या बुरा है नज़रिया है 'शायरा'
नज़रिया सही नहीं तो चीज ख़ूबसूरत न होती-
कोई मरता नहीं किसी से बिछड़ने के बाद
बेशक़ दिल बेजार हो जाता है टूटने के बाद-
आज भी रोना है कल भी रोना है
तेरे बगैर रोना है तेरा होकर रोना है
ये चाहत ही नहीं मेरी तुझे पाना है
हसरत इतनी मुझे बस तेरा होना है
दिल हमें रुलाता है या हम दिल को
हम खिलौना हैं या दिल खिलौना है
जो चाहो वो मुकम्मल कहाँ होता है
होता वही है जो तकदीर में होना है
इश्क़ करने वालों से कभी पूछो कैसे
लबों से मुस्कुराकर पल-पल रोना है
दिल जाँ सब गिरवी रखकर भी हारे
अब बस कब्र में चैन की नींद सोना है-