एक बगल में सरहदे हैं, एक बगल में गोलियां
एक बगल में सिसकियाँ हैं, एक बगल में हिचकियाँ...
अरे एक बगल में फर्ज बैठा, एक बगल में कर्ज...
हम सरहदों पे, सिसकियों से हिचकियाँ बुझा लेंगे
हम फर्ज पे कुर्बान हो, कर्ज को चुका देंगे.......
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28 JUL 2018 AT 14:19
3 JUN 2019 AT 0:36
वो एक है ..
तेरा मज़हब मेरा धर्म है
ये सिर्फ शब्दों का भ्रम है
वो एक है..
ये सरहदें बनी धरती का दर्द है
आसमान तो एक है
वो एक है ..
सबके पास अपने हिस्से की धूप है
मस्जिद की रौशनी मंदिर के उजाले का जरिया एक है
वो एक है ..
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