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वक्त मैनें खोया अब वक्त मुझे खो दे तो मलाल नहीं
इस कदर होते हैं हादसे जिन्दगी में कि लगता है इन्सान का होना किसी हादसे से तो कम नहीं
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अब और क्या किसी से मरासिम बढ़ाये
चुभने लगे वो बन के काँटे, गुल समझ के जिनकों हमने लगाये-
वफा
आदत नहीं है वफा ये तो जिन्दगी जीने का एक तरीका है
खुद से प्रेम करने का सलीका है
हर कोई गुजर पाये,नही इतना सस्ता है
हाँ ये जिन्दगी का एक रास्ता है
हर किसी को मिला ये खुदा का वास्ता है
हाँ ये जिन्दगी का एक रास्ता है
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खामौशियों के दरमियां लफ्जों का जलजला खड़ा कर दिया
रिश्ता पूछ के उस शख्स ने रिश्ता खराब कर दिया
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माना जिन्दगी शिकायतों का लहजा था मेरा
पर तेरी मोहब्बत से जाँ हम छुड़ा ना सके
लौटा दिया जमाने को, एक तुझे लौटा ना सके
इन्सान थे,इन्सान की हद से पार जा ना सके
मुस्कुराते से अब तेरे दामन के दाग लगे
जीने की आदत भी हम छुड़ा ना सके
सहे वक्त के इतने सितम कि जख़्म भी अब बेगाने न लगे
जिन्दगी पर तेरी मोहब्बत से जाँ हम छुड़ा ना सके
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यूँ ना खामौशी की बैचेनियाँ घोल
ओगे बढ़ कर गले लगा ले मुझ को
या मेरे लिए रास्ते खोल-
बड़ी बैचेनी से सुकून के घर में बैठे रहे
कब कहा था किसी से कुछ जो अब कहें
यूँ पकड़ बैठे चँद ख़्वाब कि हम हकीकत झुठलाते रहे
काफिले लौटा कर खुद को तन्हा बताते रहे
समझ कर सब चालाकिया तेरी बड़ी मासूमियत से मुस्कुराते रहे
कही दिख जाए ना आईना तुझे बस इसीलिए नजरे चुराते रहे
कब कहा था किसी से कुछ जो अब कहें-
गुजरा हो कोई ख़्वाब जिस राह से,अब कौन गुजरे उस राह से
मालूम नहीं थी हदे, हर कोई मुजरिम बना बस इसी वजह से
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