Intajaar ki ghadi me bas yun zindagi Chal rahi hai...... jaane aaj na kal khud ko sambhal jane ki ehasaas par chal rahi hai.... bas kisi ki jarurat hai magar..... uski ehasaas se hi zindagi chal rahi hai.....
उनकी हर रूहानियत भरी निग़ाहों के ख़यालों में.. बस बेबस है इन गर्दिशों की हसरतों में.. बस और क्या इखलाज दिखाएं हमारे मोहब्बत की, मसरूफ़ रहकर ख़ुद को समेटना और तुम्हारा कोई वजूद न होना और तुम्हारा मेरे ज़िन्दगी में होकर भी गैर होना... बस एहतियात बरतते है इन सभी चीज़ों से फिरसे ना होनेका.. बस मुंतज़िर है अब कयामत से कुर्बत होनेका....
अंधेरे से कुछ यूँ वास्ता था, लेकिन तेरा आना, और जिन्दगी में और एक उम्मीद लेकर के आना, और फिर वही दिल की बाते, प्यार मोहब्बत उनसे रूबरू होना, फिरसे दिल टूटने की इरादे से खुद संभालना... खामोश हैं लेकिन, जजबातों की शोर को कैसे बयाँ करे..