'सबका मालिक एक' कहे जो
हो गया अंतरध्यान
एक नाम में जग है सारा
एक नाम में ज्ञान
नाम जिसका पुर्ण अमर है
भुतकाल का कोई भ्रमर है
जग प्रख्यात है जिसकी लीला
साईं आप बडा़ भंवर है
कोई ना जाने कौन है वो
कहां से आया कौन है वो
सर्वज्ञ वरन अज्ञात है वो
अंतर्मन की प्यास है वो
कोई कहे द्रोन है वो
किसी देव का रोम है वो
जात-धरम का भेद नहीं
मोहम्मद, नानक, ओम है वो
भिक्षुक बन कभी मांग करें
विराट बन कभी दान करें
देह-धरम का नाश हो गया
साईं अधिक आकाश हो गया
कभी राम सा कभी कृष्णाई
जग जाने सत-सुन्दर साईं
किसी के बाबा किसी के आई
सबका मालिक सच्चा साईं।-
23 MAY 2019 AT 18:22
28 MAY 2020 AT 8:59
हाँ! मैं जानती हूँ बाबा जी...
ये दर्द तो बस सबकी सलामती में माँगी हुई मन्नतों का असर है,
है माँगना तो आसाँ, बड़ा मुश्क़िल, आपका दर्द महसूस करना।
सुन लेते हो आप तो मुस्करा कर, सभी की कही-अनकही बातें,
है सुनाना तो आसाँ, बड़ा मुश्क़िल, आपको उसका नामूस देना।
'सबका मालिक एक', 'आपके सिवा कोई नहीं', 'श्रद्धा-सबुरी',
है बोलना तो आसाँ, बड़ा मुश्क़िल, आप जितना मानूस होना।
आ ही तो जाते हो आप देर-सवेर, बनकर आस अँधेरी ज़िंदगी की,
है जलाना तो आसाँ, बड़ा मुश्क़िल, आपके जैसा फ़ानूस बनना।
'धुन' से भी देखे नहीं जाते, अब अपनों के ऐसे हालात बाबा जी,
है जताना तो आसाँ, बड़ा मुश्क़िल, आप-सा बड़ा क़ामूस होना।-