स्त्री
अपने जूड़े को बांध कर
गुस्से को समेट लेती हूं
परिवार की खातिर
खुद को साड़ी के पल्लू में
लपेट लेती हूं
और बेलने लगती हूं
पूनम के चाँद सी
गोल रोटियां
यही प्रमाण है
मैं कितनी सहनशील हूं-
त्वरित मिलन को बाध्य मन
पीय मिलन को निर्बाध तन
ऐतिहासिक ये प्रेम प्रकरण
जज़्बातों का खेल न था
हालातों का मेल न था
रूह से रूह का था ये मिलन
साक्षी थे धरती और गगन-
किरदार भले ही बदल जाये,
लेकिन यादें हमेशा अमिट होती हैं जो हमेशा साथ रहती हैं ..!!-
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गोपियों के ग्वाला कहूं
यां मोतियों की माला कहूं
राधा के कान्हा कहूं
यां मीरां के श्याम
मैय्या के लल्ला
नंद जी के लाल
हे गोविंद.. गोवर्धन
सभी के गोपाल
हे कृष्ण मेरे
आवो पधारो
मेरे द्वार-
जग हंसा तो क्या हुआ मोको हंसी ना आयी
मोरा चेहरा तब खिला जब तू मंद मंद मुस्काई-
महाकाल को ध्याते हैं
बजरंगी के गुण गाते हैं
सुंदर व्यक्तित्व,
निर्मल हृदय है उनका
अपनी उम्दा रचनाओं से
सबके दिल पर वो छा जाते हैं
छोटों को यथानुपात समझाते हैं
बड़े उनसे आत्मिक संबल पाते हैं
मन से उज्जवल,
सकारात्मक दृष्टिकोण है उनका
जहां जाते हैं बस खुशियां
प्रसारित करते हुए जाते हैं!!
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जला दिया है आस का चूल्हा, प्रेम की पत्ती उबालूँ क्या
माँग रही हूँ सबसे इजाजत, स्नेह का शक्कर डालूँ क्या-