ग़लती ना होने पर भी ग़लत होते है,
साहब हम मर्द है दर्द हमे भी होते है;
अंधेरों मे चुपचाप सिसकियाँ भरते है,
फिर भी हम किसी से कुछ कहते है;
दिल पर पत्थर रख सब सहते रहते है,
खुद से दूर होकर अपनो के लिए जितें है;
ये दुनिया ना जाने क्या-क्या कहते है,
ग़लत ना होने पर भी हम चुप ही रहते है;
हम मर्दों का जीवन आसान नही होते है,
सही होने पर भी हम ग़लत ही होते है।।
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