तुम मुझसे बड़ी हो। तुम हृदय से सचमुच मुझसे बड़ी हो।
[ प्रेमचंद ]-
"यदि ऐसे शिक्षालयों से पैसे पर जान देने वाले, पैसे के लिए गरीबों का गला काटने लगे, पैसे के लिए अपनी आत्मा बेच देने वाले छात्र निकलते हैं तो आश्चर्य क्या है?"
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अनुशीर्षक में पढ़िए कवयित्री महादेवी वर्मा का एक लेख जिसमें उन्होंने लिखा कि प्रेमचंद को लेकर वे क्या सोचती हैं
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हर तरफ खुशियों का माहौल है छाया
देखो आज फिर है ईद आया
प्रेमचंद तेरे हामिद की याद आ गई
देखो बूढ़ी अमीना लाचार हो गई
मैं तो यूं ही आंसू बहा रही थी कि
हामिद अपने पैसों से चिमटा लाया होगा
पर नजारा देखकर दिल दहल उठा
क्योंकि आज हामिद खंजर लाया है
कि धर्म के नाम पर बहका दिया गया है
राजनीति ने मासूम हामिद को फंसा लिया है
देखकर दुर्दशा रूह तड़प उठा
अमीना को आज मैंने अनाथ होते देखा...-
लेखन और लेखक को लेकर प्रेमचंद का नज़रिया :
"लिखते तो वो लोग हैं, जिनके अंदर कुछ दर्द है, अनुराग है, लगन है, विचार है। जिन्होंने धन और भोग विलास को जीवन का लक्ष्य बना लिया है वह क्या लिखेंगे!"
- प्रेमचंद-
लोग मेरे साथ खेलते गए
और मैं शब्दों में उसे उतारता गया.....
Dedicated to "THE PREMCHAND"......-
MUNSHI PREMCHAND
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"TO Be SUCCESSFUL IN LIFE
WHAT YOU NEED IS EDUCATION,
NOT LITERACY AND DEGREES."
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#LetterToPremchand
कल हिंदी उपन्यास सम्राट 'प्रेमचंद' जी का जन्मदिन है। शायद ही ऐसा कोई हो जिसने उन्हें न पढ़ा हो। कभी-कभी उन्हें पढ़कर उनसे कुछ कहने का मन करता है। आइए उन्हें एक पत्र लिखकर उनसे बातें करते हैं।
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रूदन में कितना उल्लास,
कितनी शान्ती, कितना बल है।
जाे कभी एकांत में बैठकर
किसी की स्मृति में, सिसक-सिसक कर
और बिलख-बिलख कर राेया नहीं
वह जीवन के ऐसे सुख से वंचित रह
जाता है, जिस पर सैकड़ाें हंसियाँ न्याैछावर हैं..!!
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