एक सपना जो अधूरा रह गया
एक ख्वाब जो पूरा हो न सका..
इश्क-ए-दिल्लगी थी ना कोई स्वार्थ था
वो निस्वार्थ प्रेम पूरा हो ना सका..
बहती रही यूं ही आंसुओं की धार
मरहम इस दर्द का हो न सका...
टूटे हुए कांच सी हो गई है जिंदगी
जख्म-ए-दिल अब भी पत्थर हो ना सका...
छूट गया हमसे मोहब्बत का आशियाना
रूह-ए-तलब अब भी सयाना हो न सका...-
🌺🌺महाकाल की दिवानी हूं...🌺🌺
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🎂🎉C... read more
" तेरी तस्वीर आंखों में बसा है इस कदर कि तुम्हें देखे बिना ही तेरा दीदार हो जाता है... कसूर नज़रों का भी नहीं है, क्या करूं तेरी मोहब्बत में ये दिल खुद-ब-खुद गिरफ्तार हो जाता है.."
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जीना क्या है तुमने ही समझाया
खामोश होठों को तुमने हंसाया...
💖🤗💖
हम तो तन्हा चलते थे जिंदगी की राहों पर
आकर तुमने इसे मोहब्बत के फूलों से सजाया...
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इश्क है या इबादत अब कुछ समझ नहीं आता
एक खूबसूरत ख्याल हो तुम जो दिल से नहीं जाता...-
यूं ही नहीं टंगता कोई छत के पंखे पर
दिल और दिमाग की लड़ाई बहुत गहरी होती है...
वह बेबस लड़ता है खुद से
यह मैदान नहीं एक गहरी खाई होती है...
सोचता है वह भी अपना आज और कल
पर, बेबस जीवन की सच्चाई होती है...
आंखों के सामने उसके भी आते हैं अपनों के चेहरे
मगर दर्द से ना उसकी रिहाई होती है...
हार जाता है वह इस लड़ाई में, क्योंकि
दुश्मनी अपने आप से बहुत गहरी होती है..-
प्रेम-ज्योत का दीप जलाए, मन में यह आस है ;
शिव-शक्ति सी जोड़ी होगी हमारी, महादेव पर विश्वास है...-
ये रिमझिम बूंदें, ये बिन मौसम बारिश
ये दिल की तड़प, ये आलम तन्हाई
उफ्फ !!!
जान निकाल लेती है यादें तेरी...-
सजदा तेरा करूं तो इबादत खुदा की हो जाती है,
मोहब्बत तुझसे करूं तो अमानत मेरी बन जाती है;
मुश्किलें जब भी आती है मेरा रस्ता रोकने,
आपकी दुआ ही मेरी जमानत बन जाती है;
जब मेरे सर पे रख देते हैं आप हाथ अपना ,
मेरी कमजोरियां भी मजबूती में बदल जाती है;
राह-ए-जिंदगी जब हो जाती है दुष्कर,
आपका आशीर्वाद मेरा कवच बन जाती है;
मांगती हूं मांपापा की सलामती भोलेनाथ से,
और दुख के सारे बंधन मुझे ही छोड़ जाती है...-
वो मेरे लिए मंहगे महंगे गिफ्ट तो नहीं लाते
लेकिन मेरी छोटी छोटी जरूरतों को हमेशा पूरा किया करते हैं...
वो मुझे महलों के सपने तो नहीं दिखाते
लेकिन मेरे सपनों को पूरा करने के लिए लगातार मुझे प्रेरित करते हैं...
वो मुझ पर शक तो नहीं करते
लेकिन मुझे सही राह पर रखने का हर संभव प्रयास करते हैं...
वो अपने जज्बातों को मुझ से बयां तो नहीं करते
लेकिन मुझसे बेइंतहा प्रेम करते हैं...
हां, वो मेरे पापा ही हैं जो मुझसे इतना प्यार करते हैं...-
तेरी मोहब्बत में खुद को तोड़कर आज यह पैगाम लिखते हैं... चलो...
आज हम खुद को ही बेवफा के नाम लिखते हैं...-
कमी तो कुछ नहीं फिर भी तेरे बिना सब अधूरा सा लगता है...
सांसें तो चल रही है मगर ज़िंदगी कुछ ठहरा सा लगता है...-