मैं शायद अपनी उम्र के लोगों से जल्दी बड़ा हो गया, अभी ढाई साल पहले तो मैंने बारहवीं पास की पर जब मैं लोगों से बाते करता हूँ तो वो मुझे 28 से कम का मानने से इनकार कर देते हैं। कब दीदी की शादी ने मुझे बड़ा बना दिया मैं खुद नहीं समझ पाया मुझे अच्छा लगता है कि मेरी बातों से लोग मुझे बड़ा समझ लेते हैं पर मैं बचपन जीने का भरसक प्रयास करता रहता हूँ। कहीं मुझे जब बच्चे क्रिकेट खेलते मिल जाते हैं तो मैं भी उनके साथ कभी कभी बच्चा बनकर प्लास्टिक की गेंद से क्रिकेट खेलने लग जाता हूँ , लोग मुझ पर हंसते हैं पर मैं सोचता हूँ वो मुझ पर नहीं खुद पर हंस रहे हैं क्योंकि वो हंसना भूल गए हैं। मुझको आउट करने के बाद बच्चों के चेहरे पर जो खुशी आती है न ,शायद वो दुनिया की सबसे निश्छल खुशी है। उसे देखने भर से जिस आनंद की अनुभूति होती है न शायद वो खुद आप सिर्फ बच्चों के साथ क्रिकेट खेलकर ही अनुभव कर सकते हैं। जब अपना बचपन याद आता है तो बहुत हंसी आती है खुद पर ।मैं बचपन में बहुत उछलता था, इतना कि नाना से ट्यूशन पढ़ने आने वाले बच्चों ने मेरा नाम जम्पिंग मास्टर रख दिया था।मैंने क्या कुछ नहीं किया ,मेरे गांव में बिजली न होने के कारण पहले एक डिब्बी में मिट्टी का तेल डालकर दिया जलाया जाता था मैंने एक दिन उस मिट्टी के तेल को पी लिया था । उस दिन मैं बस बच गया समझो।
(Rest in Caption)
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