ख़्वाबों के पर, थमने का नाम नहीं लेती,
लाखों बंदिशे मेरी ज़िन्दगी, मेरे नाम कर रखी,
कुछ ९० ख़्वाब मेरे,तो कुछ १० ख़्वाब मेरे अपनों के,
ज़िन्दगी हर पड़ाव पर,काटे बिछा रखी,
शब्दों में क्या बयां करू,ज़िन्दगी की कश्मा काश को,
उम्मीदों से भरे,बस निहार रहीं उस रब को। ।
-