लागे जब भी छेड़े कोई प्रेम संगीत, मन होजे लावारिस सा बिना किसी का बने मीत , किसी का साथ होवे तो प्यार ना होवे तो वो कुछ ना लागे दिल का, बदल रहा है अब प्यार का मिजाज अब आवे ना पसंद हमें रांझे का गीत।
फिर इसे तोलना क्या ? वो राज़ जिन्हें छोड़ डाला है समय पे उन्हें मुख से खोलना क्या ? संघर्ष है निरंतर ,संघर्ष ही देता सीख है फिर बार बार सुख की चादर को खंगोलना क्या ?