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चुप्पियाँ...भाषाएं हैं...पीड़ाओं की...आँसुओं की...
ये प्रेम का कठिनतम पड़ाव है
जहाँ हृदय... होंठों पर आकर रुकता है
पर,,वाचन की सारी इंद्रियाँ शिथिल
और आँखों की झिलमिल में सब धूमिल
ज़हन में गूंज रही थी तो बस
तुम्हारे...लौटते हुए पदचापों की ध्वनि...
जो मेरे शब्दों की शिलाओं को
बेरहमी से ध्वस्त करती चली गई....
क्या तुमने सुनी है कभी...!
बारिशों की चीख
पृथ्वी के सब्र का नाद
छूटते हुए हाथों में
रेखाओं की बेबसी का रुदन
प्रेम....बेआवाज़ होता है लड़के..!!
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कुछ नहीं बचेगा
अंत तक!!
न मैं, न तुम, न प्रेम
खत्म हो जाएगा ये सब
जिसे हम बचाते फिरते है
सबकुछ का नाश पूर्व से तय है
मगर फिर भी
दिल नहीं मानता
तुम्हें चाहने के अलावा
कुछ और करने को
दिल हमेशा रहेगा
प्रेम को बचाने के फ़िराक में
काश! तुम मेरा दिल होती
और मैं तुम्हारा प्रेम-
आँखों के पीछे गम छिपाना सीख गए
तुम्हारे बगैर हम रात बिताना सीख गए
अकेलेपन में खुदको गले लगाना सीख गए
तुम्हारी बात होने पर चुप हो जाना सीख गए
रास्तों पर चलकर हम मंजिल पाना सीख गए
तुम्हें ढूँढते - ढूँढते अब थक जाना सीख गए
प्यार की यादों के बीच खो जाना सीख गए
मोहब्बत की अब हम कसमें खाना सीख गए
लोगों से मिलने पर मुँह छिपाना सीख गए
कहानी किताबों में अब गुम हो जाना सीख गए-
लड़कों की विदाई~
लड़के कम रोते है
घर से जाते वक्त
अपने पिता को गले भी
नहीं लगा पाते लड़के
अपनी मां के हाथ को
अपने गालों पर कुछ देर और
नहीं रख पाते है लड़के
अपनी बहन से कुछ
कह भी नहीं पाते हैं लड़के
अपने छोटे भाई को एक नसीहत भी
नहीं दे पाते हैं लड़के
ए.सी. के लोअर बर्थ में पड़े पड़े बस
लिखते है अपने मन में आए तूफ़ान को
दुनिया नहीं मानती कि लड़के विदा होते है
स्कूलों के लिए, कॉलेजों के लिए, नौकरियों के लिए
मगर वे जाते है घर से दूर, घर के लिए
लड़कों की विदाई हमेशा नकारी जाएगी
इस संसार में, जहाँ लड़के रोते नहीं!-
मैं अक्सर तुम्हें नदियों में खोजता था
तुम जल थी; मगर स्थिर नहीं
मुझे नदी के किनारे
तुम्हारे होने की उम्मीद थी
मैं वहाँ गया
मैंने तुम्हें समुद्र बनते देखा...-
तुमसे बात करते समय
मुझे महसूस होती है, हमारे बीच की दूरी
जो किलोमीटर्स में नापी गई है
जहाँ मैं तुम्हें गले से नहीं लगा सकता
जब तुम रोती हो मेरे सामने
और तुम्हारे आँसू जब गिर कर छू लेते है
जमीन को
तब वो चीर देते है मुझे भीतर से
मेरे अंदर कुछ नहीं बचता
मगर तुम्हें चुप कराने की हिम्मत
खत्म नहीं होती
मैं नहीं चाहता कि तुम्हारे आँसू बाहर निकले
और देखे इस क्रूर दुनिया को!-