हैरतअंगेज़ होती हैं न कुछ बातें...
जिन्हें दिल के बेहद करीब होना चाहिए...
उन्हें उतना ही दूर जाना पड़ जाता है..!!!-
Many friendship fail to last long not because
we are flawed by insecurities and
are slave of our instinctive nature.
But, because our vocabulary fails short of
words, to understand what platonic relationship is.-
Many Words You Speak
For The Sake of Relationship
But Whatever You Said
You Didn't Prove It Right...
You Opened Your Umbrella
When It Was Raining
But You Said
You Love The Rain
You Closed Your Windows
When It Was A Wind Outside
Earlier You Said
You Like The Blowing of Wind
You Closed Your Eyes
When It Was Me in-front of You
You Were Saying
I Am The Light of Your Eyes
You Took The Shelter In The Shade
When The Sun Was Shining
You Once Said
You Love To Sit In The Sun
I Don't Know
What Will You Do
You Said You Love Me
This Is Just The Beginning...!-
क्या कुछ पलों में कोई अपना हो सकता है।।
अगर हाँ तो कैसे ?
कैसे कोई गमो के समंदर में अकेला तैर सकता है
कैसे वो अपने अकेलेपन को भूल किसी और की
तन्हाई को रंगों से भर सकता है।।।
कैसे कोई अजनबी होकर भी
अपना सा लगता है ।।
क्या सच मे कोई पल भर में
अपना अपना सा लग सकता है ।।
या वो तमाम रातो की तरह फिर
कोई अधूरा सा सपना लगता है ।।।-
रूह को रूह की तलब लगी है...
न जाने दिल में,
कौन सी हड़कंप मची है...!
बरसो किया इंतज़ार उनका,
अब राहत - ए - मिलन की आस लगी है...!!!-
Platonic love & relationship is the only purest form of love & relationship, the souls evolves in the form of seraphs
-
शरीर प्रेम का कारण नहीं
ये तुम्हारी रेशमी, घनी, काली घटा जैसी
जुल्फे भले ही कितनी भी खूबसूरत क्यों ना हो
मुझे इस से प्रेम नहीं
ये तुम्हारी शरबती आंखें , कितनी भी नशीली क्यों ना हो, तुम्हारी ये झील सी नीली और गहरी आंखें कितनी भी लुभावनी करने वाली ही क्यूं ना हो
मुझे इस से प्रेम नही
ये तुम्हारे रुखसार और अधर कितने ही सुर्ख, कोमल ही क्यूं ना हो
मुझे इस से प्रेम नहीं
तुम्हारा ये संगमरमर से तराशा हुआ ये शफ़्फ़ाक बदन भले ही 36-24-36 का ही क्यूं ना हो, मुझे इसमें कोई दिलचस्पी नहीं , उस ऊपर वाले की कारीगरी कितनी भी कारगार क्यूं ना हो
मुझे इस से प्रेम नहीं
क्यूंकि ये सब खूबसूरती तुम से है, तुम इस खूबसूरती से नहीं
ये सब तुम्हारा है, तुम नहीं हो
और मै सिर्फ तुम से प्रेम करता हूं-
कैसे कहूँ कि तन्हा हूँ मैं
जब से खयालो ने उसके, संभाला है हमे ।
कैसे कहूँ कि रुसवा हूँ मै
जब से उसने अपना , कहा है हमे ।
कैसे कहूँ कि इश्क़ नही हूँ मैं
जब से उसने दिल मे , बसाया है हमे ।
कैसे कहूँ कि तुम्हारी कुछ नही हूँ मैं
जब से उसने हर बात पर, अपना बनाया है हमें ।।
कैसे कहूँ कि अब तन्हा सी हूँ या नही हूँ मैं ......-