Rooh Lost_Soul   (रूह - Ĺőšţ ❤§öüľ 👑)
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Joined 31 October 2017


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Joined 31 October 2017
17 HOURS AGO

आख़िर गुजर ही गई।
भोर की आहट से जैसे
अश्कों की लहर थम सी गई।

तुमसे दूरियों की ख़्वाहिश
फिर इस दिल मे जकड़ गई
ये आसुंओ में भीगी रात मेरी
कुछ पहर के लिए ठहर गई।।


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23 HOURS AGO

बस एक ऐसी शाम की ख़्वाहिश है
जहाँ तुम हो पहलू में और समंदर हो

इतना करीब बैठे हम उन किनारों पर
कि हर बार लहरें छू के जाए कदमों को
हाथ थाम कर एक दूसरे का हम
डूबते सूरज संग गुनगुनाये सरगम

न तुम में तुम रहो बाकी,न मुझमें मैं रहूँ बाकी
आ उस पल को जी ले उम्रभर के लिए "हम"

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YESTERDAY AT 21:20

आधा-अधूरा ही सही
इश्क़ तो है...
तुम नही तो क्या
तुम्हारी आदत तो है...




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YESTERDAY AT 21:17

एहसास




तुम्हारा नाम


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YESTERDAY AT 7:02

कहने को तो अब
कुछ न रहा हमारे दरमियां

तुम्हारी बस यही इक निशानी बाक़ी है

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23 APR AT 10:57

Words are thoughtless
Since Pains are painless

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23 APR AT 7:06

कुछ ज़ख्म दिखते नही मगर होते है
कुछ दर्द होते है मगर वो दिखते नही....

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22 APR AT 7:30

तुम्हारा होना....... मेरा भरम है
मुझसे ज़रूरी ..... तुम्हारा अहम है

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22 APR AT 7:24

कुछ इस क़दर चढ़ा,
न दवाओं का असर
न दुआओं की बसर।

तेरी यादों का बुख़ार
न मरने की रज़ा
न जीने की वज़ह




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22 APR AT 7:18

तुम्हारे आग़ोश में
खुद को समेटने की।

तुम्हारे साथ वो
ढलता सूरज देखने की
गीली रेत पर दूर तक
हाथ थाम भीगते कदमों से
कुछ कदम साथ चलने की।

हाँ हसरत ही रह गई
तुम्हारे संग देखे वो ख़्वाब जीने की

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