मैं अक्सर ढूंढती हूं तुम्हें अपने ही अल्फाज़ों में
तुम्हें दिख जाए ये तो भी तुम कुछ न कहना
इश्क़ हो या प्यार देखो ये लफ्ज़ ही अधूरे हैं
तुम मेरी मोहब्बत के अधूरेपन में शामिल रहना.....-
आपके गम में रोई नहीं
तो मुझे पत्थर दिल मत समझो
जो लोग दिल से रोते हैं
उनकी आंखें पत्थर हो जाती हैं......-
इश्क़ को मुकम्मल होने के लिए साथ जरूरी है
और
खत्म़ होने के लिए भी आख़री मुलाकात जरूरी है...-
लिखती नहीं कहानी मैं उठाकर कहीं से
मेरे तो हर लफ्ज़ में किसी का ज़माना गुज़रा है......-
इतनी भी काबिल नहीं हूँ मैं जिन्दगी
बस कर लेने इम्तिहान मेरे
और
वक़्त तू बता कब होगा सवेरा
मिटा कर ये जिन्दगी के गहरे अंधेरे.......-
तेरी ख़ामोशी का अब हम क्या जवाब दें
चल अहसान मेरी मोहब्बत पर तू फिर कर दे
कुछ अहसासों की ही तो बात है कह कर उन्हें
या तो तू क़ैद कर ले या इसी खामोशी से रिहा कर दे........
-
आखिरी सांस ले रहा है दरमियाँ~ए~रिश्ता हमारा
अब देखकर एक दूसरे को बस हल्का सा मुस्कुरा दिया करते हैं.....
-
'The sun has risen
and
My watch has ended'
Said the watchman after
ending his night shift.-
खुद ही मिले वो, और वो खुद ही मिलना छोड़ दें
मगर हम इतने भी बुज़दिल नहीं
कि उनके बगैर जिंदगी से लडना छोड़ दें......-