QUOTES ON #PASTMEMORIES

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15 MAY 2019 AT 0:44

Life: What was the worst moment happen in your past?

Me: We met then we never met

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मोहब्बत के सफ़र में वो पल भी गुज़रे थे,
इंतज़ार में उनके,ये नयन रातों को जगे थे।

मेरी चुप्पी जब ख़ामोशी में तब्दील हो रही थी,
सफ़र में अकेला छोड़,वो चैन से सो रही थी।

एक रात जब हम हो गए हमेशा के लिए ख़ामोश,
फिर क्यों वो पगली मेरे जनाजे पर आकर रो रही थी?

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चाहनेवाले होंगे तेरे हज़ारों,
लेकिन दिल तो तेरा एक है।
अब तकल्लुफ़ ना देंगे हम तुम्हे,
इस मोहब्बत में इरादा जो मेरा नेक है।

तू बेपरवाह है तो बेपरवाह ही सही,
ढलती शाम में अब तेरा इंतज़ार ना करेंगे।
कशमकश में ना गुज़रो अपनी ये ज़िन्दगी,
तेरी यादों के जरिए,हम अकेले ही ठीक है।

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कच्ची उमर जा रही थी,
जवानी भी आ रही थी।
इस मासूम सूरत पर,
दाढ़ी भी अब आ रही थी।

मद्धम-मद्धम बढ़ती बेचैनियों में
मोहब्बत अपनी मौजूदगी देखा रही थी।
शाहजादे की तरह पला था जो मैं,
मेरी रानी भी ज़िन्दगी में आ रही थी।.........

वक़्त बीतने के साथ वो ख़्वाब का शहर
वीरानियाँ बनकर यक़ीनन डरा रही थी।
दिल टूटने की खनक में,
मेरा जमीर मुझको जगा रही थी।

कुछ सपने ख़ाक हुए
दिल भी राख हुए।
उम्र के इस पड़ाव में
मोहब्बत अपना रंग दिखा रही थी।

विश्वास की ओट में भरम का वो पर्दा
आँखों पर बड़े मासूमियत से चढ़ा रही थी।
यकीन मानो वो मेरी मोहब्बत ही थी,
जो छुपकर से किस और के बिस्तर पर जा रही थी। — % &

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एक रात
बदनाम उन गलियों से गुज़र रहे थे।
जहाँ लोग कलियों के भीड़ में,
रातें रंगीन कर रहे थे।
जिस्मों के उस भीड़ में भी,
हम बेचैन हो रहे थे।
ताज्जुब क्या करते हो,
हम अपनी ही मोहब्बत को
मुजरा करते देख रहे थे।
तस्सवुर नही वो हक़ीक़त थी उनकी,
भरी बाजार में बिकती है कैसे ये मोहब्बत,
आब-ए-तल्ख़ की चुस्कियों में,
छुप-छुपकर हम देख रहे थे।
अनगिनत लोगों का मजमा था वहाँ,
जो मेरी मोहब्बत पर दिल फेंक रहे थें।

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4 MAY 2020 AT 21:55

Aaj Kal Ka 90% Relationship Do
Wajah Sai Tut Tai Hai....

Pahela Caste

Dusra Past

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लिखा है जो लकीरों में,
मोहब्बत के खुदा जाने।
गुज़र गयी दहलीज़ से,
और गैरों से वफ़ा मांगे।
सीसे के महल में रहकर,
एक पत्थर की दीवानी बनी।
निहारती रही खुद को आईने में,
और अपनी सूरत को न पहचाने।

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तुम वही हो न जिसने,
एक लाश को ज़िंदा कर के,
मोहब्बत करना सिखाया,और
फिर मरने के लिए छोड़ दिया।

हम भी वही है जिसने,
ज़िंदगी जीने की ख्वाइश में,
मोहब्बत पर भरोसा कर के,
इतने टुकड़ों में बिखर गए,
की समेटने में उम्र गुज़ार दिया।

और ये दुनिया भी वही है जिसने,
फरेबी चेहरों के इस महफ़िल में,
दर्द सुनने पर जब तालियां की शोर हो,
तो हँसते हुए,शुक्रिया कहना सिखाया।

आखिर में बच गयी मेरी ये ज़िन्दगी,
जिसने सारी उम्र दर्द-ए-बे-दवा ढूंढने में
हर एक चौखट पर चोट के संग
आँखों मे अश्कों की सौगात पाया।
और जिसदिन मिला सकूं इस मर्ज से
तो जमाने ने फिर मुझे लाश कहकर बुलाया।

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अपनी रातों की नींदे हराम करके,
एक हरामी से मोहब्बत कर रहें थे।
ज़िस्म होता गया बेजान,और
हम उनके दीदार को तरस रहें थे।
उसकी पसंद,नापसंद के मुताबिक़ हम,
अपनी पहचान और सीरत बदल रहे थे।
बर्बाद हो गए जब पूरी तरह तो समझ आया,
वो एक ज़हर थी,जिसे ज़िन्दगी समझ रहे थें।

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नम आँखों से आज,
कुछ कहने को जी कर रहा है।
दर्द और इस पागलपन में,
इश्क की कब्र खोदने को जी कर रहा है।
हम रो रहे है बेतहाशा कुछ ऐसे,
उनसे किये हर इश्क़ का हिसाब करने को जी कर रहा है।

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