एहसास के पन्नों पे नए किस्सों को जन्म देना सही नहीं होगा ,
मन्नतों बाद बसाया गया शहर उजाड़ कर फिर से महल बनाना सही नहीं होगा ,
और ना जाने कितने दिन , कितने महीने , कितने साल , लम्हों को खुद में कैद रखी हूं -
पर फिर से इनका हिसाब लगाना सही नहीं होगा ।।
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