आदत सी हो गयी है,
बन अजनबी निकल जाने की...!!
अजीब सी फितरत है अब इस ज़माने की,
शक भरी नजरो से लोग एक दूसरे को परख रहे हैं...!!
वजह नहीं है फिर भी बस ले नाम धर्म का,
एक दूसरे को दूर झटक रहे हैं...!!
रंगो में भी अब हो गए भेद हैं,
लाल हरा भगवा के बीच खो गया रंग सफ़ेद है...!!
अपने ही घर से भेजे जा रहे लोग परदेश हैं,
सच में बदल रहा मेरा देश है...!!
उन्नति के दौर में खो रहा लोगो का विवेक है,
बदल रहा मेरा देश है...!!
-©Saurabh Yadav...✍️
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