हर साल नया साल
रहता था तेरा ख्याल
नए साल पूरे साल, अब
रखूंगा तेरा ख्याल...-
Tamam Najre Dikhti Hai Yu To Roz
Par Uski Aankhen Kahi Dikhai Nhi Deti
Wo Kehti To Hai Ishq Hai Tumse
Par Uski Muhabbat Kabhi Dikhai Nhi Deti
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रात यूॅं ही बदनाम नहीं है
ख्वाब दिखा कर चली जाती है।
दिन के उजाले में थककर
जिंदगी परेशान हो जाती है।।-
मेरी मोहब्बत हो तुम
मेरी कहानी का किरदार हो तुम
मेरी ज़िंदगी की ज़िंदगानी हो तुम
मेरी सोती आँखों का ख्वाब हो तुम
मेरी मोहब्बत हो तुम-
" रौनके शहर " तेरे यूॅं ही नहीं आई नीरज
सुना है कुछ दिनों से वो अपने गाॅंव में नहीं है-
एक ऐसा सच , जो गुनाह के बिल्कुल करीब था।
कोख ही बना मेरा कब्र, शायद मां-बाप बहुत गरीब था।।-
मैं कौन हूॅं ?मेरा नाम क्या है ?
मेरे आंसुओं का पैगाम क्या है ?
जो बह चले यूं ही सुर्ख गालों पे
देने लगी है हिचकियां जवाब मेरे सवालों के
ये आसमां ये जमीं सबका यही ठिकाना है
मर के कहां जाना है? फिर तो यहीं आना है
नए रूप नए रंग ,नए घर नए दर पे
भूल कर पिछली बातों को ,गुनाह किए गए रातों को
जिंदगी का यही फसाना है
मर के कहां जाना है?फिर तो यहीं आना है
कुछ कह रही है ये आबोहवा मुझसे
बेपनाह मोहब्बत किया है तुझसे
सावन के कितने महीने तूने यहां बिताए हैं
बचपन की किलकारियां ,यौवन की अठखेलियां
न जाने कितनी हंसी, तूने अपने चेहरे पर लाए हैं
तेरी शरारत देख रहा शिद्दत से यह जमाना है
मर के कहां जाना है ?फिर तो यहीं आना है।-
बुरा हूॅं तभी तो बुरे वक्त पर काम आता हूॅं।
अच्छे लोगों को अपनों से फुर्सत ही कहाॅं मिलती है?-
" इरशाद हैं "
ये गालिब शायर यू ही नहीं बना, इसने ठोकरें बहुत खाई हैं,
सब को भूल अब इसे पसंद बस खुद की परछाई है ।-
मैं सुबह हूॅं, तेरी जिंदगी का पहल हूॅं
उठ जाओ, भले तेरी नींद में खलल हूॅं
कितने बेफिक्र अंदाज से तुम सोए थे
तुम जगे,जब तेरे आंगन में हम रोए थे
मेरी बारह घंटे की जिंदगी ,तुम्हें सैकड़ों वर्षों तक जिलाती है
रात भले तुम्हें सुकून दे पर मेरे बगैर तुम्हें चैन कहाॅं आती है ?
मैं सुबह हूॅं ,तेरी जिंदगी का पहल हूॅं
उठ जाओ ,भले तेरी नींद में खलल हूॅं-