ये फूल हैं आंगन के, इन्हें ना शूल बनाईए
नाजुक हैं हाथ इनके , इन्हें ना खेतों में लगाईए
पलट देंगे आपकी किस्मत, इन्हें कुछ बन जाने तो दीजिए
फिलहाल इन्हें अभी स्कूल आने तो दीजिए
फिलहाल इन्हें अभी स्कूल आने तो दीजिए-
दिल तुम्हारा ना लगे जब
तू दिल्लगी कर ले
और उससे भी जी भर जाए गर
तू खुद से मोहब्बत कर ले-
वक्त आने पर सब कुछ ठीक हो जाएगा
ये तसल्ली एक पिता ही दे सकता है
और ये भरोसा माॅं को भी रहता है-
उसे दूर की सुनाई देती
नजदीकियों ने उसे बहरा कर रखा है।
मेरे एहसान का बदला चुकाने को
जहाॅं से था मैं उठा, खुद को वहाॅं गिरा रखा है।।
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ख्वाब जो तूने देखा था
ख्वाब जो मैंने देखा था
हकीकत हुए, ख्वाब जो हमने देखा था-
तुम तस्वीर बन गई तकदीर बनते बनते
याद करना आसान था तुम्हें, अब भूलाना कठिन है-
मेरी दुनियां इस बाबत मुझमें शामिल रहा
बहुत करीब आकर उसनेे मुझसे दूर जाने को कहा-
यह जो माटी के पुतले तूने बनाए हैं
क्या पूरी तरह से पके पकाए हैं ?
कुछ आंधियों बरसातों में गल जाते हैं
कुछ ऊंची उड़ान भरते हैं तो जल जाते हैं
गर यही इरादा है तेरे फरमाने का
क्यूं आदेश देते हो इन्हें ? धरती पर आने का-
गम को हॅंसने दिया मैंने अपने बेबसी पर
न हॅंसने देता तो वो मुझे ही रुलाता-