मन की भी एक देह होती है निविया
जो यदाकदा स्पर्श की भूखी होती है
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"फ़ोन की घंटी "
फ़ोन की घंटी बजी
आटा गूँधती नैना ने
रिसीवर उठा कर
बात करनी चाही
हेल्लो के जवाब में
बस कुछ सांसे थरथराई
कुछ पहचानी सी
आवाज़े
कुछ अपनी सी
खुशबू
नैना की आँखे भर आई
शहर बदल देने से
रिश्ते तो नही टूटे न
आज फिर उसी वक़्त फ़ोन की घंटी बजी हैं
नैना की सांसे इस वक़्त अटकी हुयी हैं .
#Neelima
#nivia-
वैसे तो मिले, हर मोड़ पर बहुत लोग मिले
कुछ वो भी मिले जो ना चाहते हुए भी मिले
मैं खामोशी से परखती रही सबकी फ़ितरत
फिर उठ उनके गले मिली जो तबियत से मिले
#Nivia-
जैसे ,अभी कोई
पूछ बैठेगा
क्यों उदास बैठी हो
कभी कभी
खुद ही खुद से
ऐसे भी
रूठ जाती हूँ
मैं !!!!!
#नीलिमा
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अपना ही लिखती हूँ दिल के अंदरूनी कोनो से टटोल कर
उधार के लफ्जों से कब दिल की बाते बयान होती हैं-
जिनको मिलती है वो कहते है बेटियाँ किस्मत से मिलती है
तो जिनको बेटे ही है वो बदकिस्मती से है क्या?
संतान बेटे हो या बेटियाँ दोनो के जन्म में उनके पेरेंट्स समान दर्द/खुशी महसूस करते है ।
सोच बदलो समाज बदलेगा-
कभी कभी यह शराफ़त का लबादा छोड़ कर खूब गालियाँ देने का मन करता है ।मेरे भीतर बसा शैतान भी थक चुका है गुलामी से।
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