अखबारों के पन्ने व लोगो के दिल नफरतों से भरे पड़े हैं,
लगता है लोगो ने प्यार सिर्फ व्यक्तिगत संदेशों तक सीमित कर रखा है।-
23 DEC 2020 AT 7:47
28 OCT 2020 AT 19:42
लूट रहा है देश सुनहरा,
मक्कारी के जालों में।।
जल रहे हो तुम भी तो,
घूसखोरी के अंगारों में।।
सौ से सत्रह हो जाता है,
सरकारी मुद्राओं का।।
ऊपर नीचे बट जाता है,
शासन कुर्सी वालों में।।-
24 FEB 2018 AT 18:58
मंज़िल की तरफ जाती हुई राहों में अगर कांटे हो...
थोड़े रुको🚶.......थोड़े चलो🏃.......
एक गरीब...नौकरी ढूंढ रहा था अखबार में...💭
लिखा था✍..."पकौड़े तलो" 😢-
8 MAY 2017 AT 12:02
Over worrying about the future is like searching for tomorrow's newspaper today.
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20 OCT 2019 AT 19:04
Now a days...
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