मैं तुम्हारा अपना कहां ,जो तुम मुझे सुनोगे ।
मैं गालिब, जॉन एलिया,
या नए जमाने का मनोज मुंतशिर भी तो नहीं !
फिर क्यों तुम मुझे पढ़ोगे ❔
पर शायद ,मैं तुममें बसा थोड़ा मैं हूं ।
थोड़े ऐब, थोड़ी उलझन ,थोड़ी हसरतें है मुझमें,
वो कभी ना खत्म होने वाली अधूरी ख्वाहिशें है मुझमें।
बोलो क्या तुम मुझे सुनोगे ❔
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