बेटी तो बेटी होती है..
कोख से किसी के भी जन्मे..
अदिति आकृति सुकृति शक्ति..
रचना रागिनी माधुरी भक्ति..
नाम चाहे कुछ भी रख लो..
पराए को बहू और..
अपनी को बेटी कहते हो..
पर इस नवरात्रि में एक प्रण ले लो..
नौ दुर्गा की नौ स्वरूपा है बेटी..
हर घर की मान-सम्मान है बेटी..
अपनी बहू भी अपनी ही है बेटी..
बेटी..बेटी..हम सबकी बेटी..
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